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शुक्रवार, 29 जनवरी 2010

हिन्दी साहित्य मंच की कविता प्रतियोगिता की विजेता कविता "प्रतीक्षा - शिविर" ..............गरिमा सिंह

नाम- गरिमा सिंहआपका जन्म बिहार राज्य के समस्तीपुर जिले में २५ फरवरी सन १९८६ को हुआ । आपने स्नातक और परास्नातक की शिक्षा ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय , दरभंगा से प्राप्त की । वर्तमान में आप इसी विश्वविद्यालय से इतिहास विषय में शोधरत हैं ।आपका पालन-पोषण आपके नाना और नानी जी ने किया । आप बापू को अपना आदर्श मानते हुए समाजसेवा में रूचि रखती हैं । आपको हिन्दी साहित्य से गहरा लगाव बचपन से ही रहा है ।संपर्कः योगेश्वर सिंह चन्द्र-योग सदन , ताजपुर रोड...

स्वर्ग-नर्क के बँटवारे की समस्या - व्यंग्य

स्वर्ग-नर्क के बँटवारे की समस्या -------------------------------------------- महाराज कुछ चिन्ता की मुद्रा में बैठे थे। सिर हाथ के हवाले था और हाथ कोहनी के सहारे पैर पर टिका था। दूसरे हाथ से सिर को रह-रह कर सहलाने का उपक्रम भी किया जा रहा था। तभी महाराज के एकान्त और चिन्तनीय अवस्था में ऋषि कुमार ने अपनी पसंदीदा ‘नारायण, नारायण’ की रिंगटोन को गाते हुए प्रवेश किया। ऋषि कुमार के आगमन पर महाराज ने ज्यादा गौर नहीं फरमाया। अपने चेहरे का कोण थोड़ा सा घुमा कर ऋषि कुमार के चेहरे पर मोड़ा और पूर्ववत अपनी पुरानी मुद्रा में लौट आये। ऋषि कुमार कुछ समझ ही...

मृत्यु....

ये कैसी अनजानी सी आहट आई है ;मेरे आसपास .....ये कौन नितांत अजनबी आया है मेरे द्वारे ... मुझसे मिलने,  मेरे जीवन की , इस सूनी संध्या में ;ये कौन आया है …. अरे ..तुम हो मित्र ;मैं तो तुम्हे भूल ही गया था, जीवन की आपाधापी में  !!! आओ प्रिय , आओ !!!मेरे ह्रदय के द्वार पधारो, मेरी मृत्यु...आओ स्वागत है तुम्हारा !!! लेकिन ; मैं तुम्हे बताना चाहूँगा कि,  मैंने कभी प्रतीक्षा नहीं की तुम्हारी ;न ही कभी तुम्हे देखना चाहा है ! लेकिन सच तो ये है कि ,तुम्हारे आलिंगन से मधुर कुछ नहीं तुम्हारे आगोश के जेरे-साया ही  ;ये ज़िन्दगी तमाम...