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सोमवार, 20 अप्रैल 2009

माँ की फरियाद.

ब्च्चो मै हूं तुम्हारी दादी मेरा नाम है आजादी, अपनी फरियाद सुनाने आई हूं,मैं तुम्हें जगाने आई हूं,जब देशभक्त परवानों ने आजादी के दिवानों ने,दुशमन से मुझे छुडाया था तो अपना लहू बहाया था,मुझे अपने बेटों को समर्पित कर वो चले गये,कुछ ही वर्शों में मेरे बेटे भी बदल गये,देश को बोटी बोटी कर खा रहे हैं, मुझे पतिता बना रहे हैं,अपना हाल सुनाने आई हूं, मै तुम्हें जगाने आई हूंबडे बडे नेता अधिकारी बन गये हैं,सिर से पाँव तक भृ्श्टाचार में सन गये हैं,संविधान की धज्जियां उडा रहे हैं,स्वयं हित भाई से भाई लडा रहे हैं,वीरों की कुर्वानी भूल गये हैं,आदर्श इतिहास...