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सोमवार, 28 सितंबर 2009

मुझ को खंजर थमा दिया जाए---------------"जतिन्दर परवाज़ "

मुझ को खंजर थमा दिया जाएफिर मिरा इम्तिहाँ लिया जाएख़त को नज़रों से चूम लूँ पहलेफिर हवा में उड़ा दिया जाएतोड़ना हो अगर सितारों कोआसमाँ को झुका लिया जाएजिस पे नफरत के फूल उगते होंउस शजर को गिरा दिया जाएएक छप्पर अभी सलामत हैबारीशों को बता दिया जाएसोचता हूँ के अब चरागों कोकोई सूरज दिखा दिया ...