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मंगलवार, 4 मई 2010

जब पापा ने बनाए मटर के चावल ......(बाल कहानी).....मोनिका गुप्ता

हमेशा से ही मम्मी और रसोई का नाता रहा है.मैने आज तक पापा को रसोई से पानी का गिलास खुद लेकर पीते नही देखा. पापा सरकारी अफसर हैं इसलिए द्फ्तर के साथ साथ घर पर भी खूब रौब चलता है.मम्मी सारा दिन घर पर ही रहती हैं.दिन हो या रात सारा समय काम ही काम हाँ भाई... नौकरों से काम लेना कोई आसान काम है क्या, हाँ.... तो मैं ये बता रही थी कि पिछ्ले कुछ दिनो से पापा खाने मे कोई ना कोई नुक्स निकाल रहे थे. इसीलिए मम्मी ने रसोइए की छुट्टी कर के रसोई की कमान खुद सम्भाल...

नज़्म .....कवि दीपक शर्मा

बात घर की मिटाने की करते हैंतो हजारों ख़यालात जेहन में आते हैंबेहिसाब तरकीबें रह - रहकर आती हैंअनगिनत तरीके बार - बार सिर उठाते हैं । घर जिस चिराग से जलना हो तोलौ उसकी हवाओं मैं भी लपलपाती है ना तो तेल ही दीपक का कम होता हैना ही तेज़ी से छोटी होती बाती है । अगर बात जब एक घर बसाने की हो तोबमुश्किल एक - आध ख्याल उभर के आता हैतमाम रात सोचकर बहुत मशक्कत के बादएक कच्चा सा तरीका कोई निकल के आता है । वो चिराग जिससे रोशन घरोंदा होना हैशुष्क हवाओं में भी लगे की लौ अब बुझाबाती भी तेज़ बले , तेल भी खूब पिए दीयारौशनी भी मद्धम -मद्धम और...

लहर---------[कविता]----------सन्तोष कुमार "प्यासा"

तुम्हे याद है हम दोनों पहले यहाँ आते थे घंटो रेत पर बैठ कर एक दुसरे की बातों में खो जाते थे तुम घुटनों तक उतर जाती थी सागर के पानी में और मै किनारे खड़ा तुम्हे देखता था पहले तो तुम बहुत चंचल थी लेकिन अब क्यों हो गई हो समुद्र की गहराई की तरह शांत और मै बेकल जैसे समुद्र में उठती ...