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गुरुवार, 3 जनवरी 2013

मेरा परिचय

पता नही क्यू मै अलग खङा हूं दुनिया से !
अपने सपनो को ढूढता विमुख हुआ हूं दुनिया से !!
पता नही क्यूं मै इस दुनिया से अलग हूं !
मगर मै सोचता कि दुनिया मुझसे अलग है !!
पता नही क्यूं अब ताने सुन कष्ट नही होता !
पता नही क्यूं अब तानो का असर नही होता !!
पता नही क्यूं लोगो को है मुझसे है शिकायत !
पता नही क्यूं बिना बात के दे रहे है हिदायत !!
पता नही क्यूं लोगो की सोच है इतनी निर्मम !
पतानही क्यूं इस दुनिया की डगर है इतनी दुर्गम !!

बुधवार, 2 जनवरी 2013

हम कैसे जिये

हम इस दुनिय मे कैसे जिये, 
रात जैसे अंधेरे मे हम कैसे चले !
हम आगे तो है साफ लेकिन,
पिछे की बुराईयों को कैसे मले!
लोग तो अब न जाने, 
क्या-क्या कहने लगे !                                                                
आखो से अब आसु,
बहने लगे !
लोगो कि चंद बाते पुकारे मुझे,
पर ये कटु जहर हम सहने लगे !
लोग कहते गये और हम सहते गये,
और जिंदगी की ये जंग लङते गये !

मंगलवार, 25 मई 2010

बच्चों की प्रतिभा दिखाने का सबसे अच्छा माध्यम है इटंर नेट.........(बाल साहित्य).....मोनिका गुप्ता

जी हाँ, आजकल नेट का क्रेज लोगो मे बहुत ज्यादा हो रहा है खासकर बच्चे तो इसे बहुत पसंद करने लगे है क्या कुछ नही है इस पिटारे मे. चंद सैकिंडो मे दुनिया सामने होती है. 

अब अगर आप यह सोचने लगे कि इसमे अच्छाईयाँ कम और बुराईया ज्यादा है क्योकि इसके आने के बाद से बच्चे बिगडने लगे हैं. गलत गलत साईट देखते हैं तो मै यह जानना चाहती हूँ कि इसका मतलब तो यह हुआ कि इंटर नेट के आने से पहले बच्चे बिगडते ही नही थे. गाय बने चुपचाप बैठे रहते थे. तब भी आपका जवाब ना मे ही होगा.तो आखिर आप चाहते क्या है ...... अगर हर बात मे नकारात्मक सोच रखेगे तो नतीजे भी वैसे ही आएगे. इंटर नेट का क्षेत्र बहुत विशाल है इसलिए मै ज्यादा बात ना करते हुए अपनी एक ही बात पर आती हूँ वो है बच्चो मे छिपी हुई प्रतिभा निखारने और उसे मंच देने का इससे अच्छा साधन हो ही नही सकता. आप सोच रहे होगे कि कैसे ... तो वो ऐसे कि हर बच्चे मे कोई ना कोई हुनर होता है पर कई बार या किसी भी वजह से वो सामने नही आ पाता. इसमे कोई शक नही कि टी.वी. भी इसका सबसे अच्छा साधन है पर आप तो जानते ही है कि मौका मिलता कितने बच्चो को है. इसमे हजारो लाखो बच्चे संगीत व अन्य कला मे ओडिशन देते है पर मुश्किल से 10 या 20 ही चुने जाते है तो क्या और बच्चे प्रतिभावान ही नही है. क्या उन्हे मायूस होकर चुप चाप बैठ जाना चाहिए अपनी किस्मत पर रोना चाहिए तो मेरा जवाब है नही .... जब हुनर है तो क्यो ना दुनिया को दिखा दे. यू ट्यूब पर उसकी विडियो बना कर ना सिर्फ डाली जा सकती है बलिक उसका लिंक भेज कर अपने देश के या विदेशी दोस्तो को भी दिखाई जा सकती है और बहुत लोग इसे कर भी रहे है. जिसमे हर प्रतिभावान बच्चे को मौका दिया जाता है इनकी कला को देख कर उसे यू ट्यूब पर अप लोड किया जाता है. हर तरह की प्रतिभा विडियो के माध्यम से देखी जा सकती है. इस से ना बच्चो का मनोबल बढता है बलिक वो और कुछ अच्छा करने की कोशिश मे जुट जाते हैं. अब अगर आपके मन मे यह आ रहा हो कि इन विडियो का कोई गलत इस्तेमाल भी कर सकता है तो फिर मैं कुछ कहना ही नही चाहती ना ही आपको इस दिशा मे प्रयास करने चाहिए. बस मै यही कहना चाहती हूँ कि समय बहुत तेजी से आगे निकल रहा है इसके साथ नही चलेगे तो बहुत पीछे रह जाएगें. 

पूरी दुनिया जानने के लिए इटंर नेट् नेट से अच्छा साधन हो ही नही सकता और अगर इसी मे आपकी अपनी पहचान भी बन जाए तो क्या कहना.अब तो बस आप स्कूली छुट्टियो का फायदा उथाते हुए अपने और अपने बच्चो मे छिपे हुनर को जानने मे जुट जाए.  

बुधवार, 27 मई 2009

नेहरु चाचा आओ ना (पुण्य-तिथि 27 मई पर)

नेहरु चाचा आओ ना
दुनिया को समझाओ ना
बच्चे कितने प्यारे होते
कोई उन्हे सताये ना

नेहरु चाचा आओ ना
मधुमुस्कान दिखाओ ना
तुम गुलाब कि खुशबू हो
बचपन को महकाओ ना

नेहरु चाचा आओ ना
उजियारा फैलाओ ना
देशभक्त हों, पढें लिखें
ऐसा पाठ पढाओ ना

नेहरु चाचा आओ ना !!

बुधवार, 8 अप्रैल 2009

क्या हम सब बदमाश हैं पिंकी....??[बाल मन ]- भूतनाथ जी

"पिंकी, क्या मैं बदमाश हूँ.....??"
"नहीं तो,कौन कहता है....??"
"देख ना,मम्मी हर समय मुझे बदमाश-बदमाश कह कर डांटती ही रहती है.....??"
"....!!वो तो मेरी मम्मी भी मुझे दिन-रात यही कहती रहती है,सौ-सौ बार से ज्यादा डांटती होंगी मेरी मम्मी दिन भर में मुझे....!!और पापा भी तो कम नहीं नहीं है....एक तो रात को घर लौटते हैं....ऊपर से मम्मी उन्हें जो भी पढ़ा देती हैं,उसी पर मेरी वाट लगा देते हैं....!!"
"हाँ यार !!मेरा भी यही हाल है...और मेरा-तेरा ही क्यों हमारे सब दोस्तों का भी तो यही हाल है...सोचते हैं कि रात को पापा के आते ही उनको मम्मी के बारे में बताएँगे....कि उन्होंने हमें डांटा...हमें मारा....लेकिन ये पापा लोग भी मम्मी की ही सुनते हैं...बच्चों की बात पर तो विश्वास ही नहीं करते...!!"
"राहुल !!ये पापा लोग ऐसे क्यूँ होते हैं....??देख ना जब भी पापा हमें प्यार करते होते हैं कि रसोई से मम्मी जाती हैं....और कुछ ना कुछ ऐसी बात पापा को बता जाती हैं....कि पापा उल्टा ही हम पर पिल जाते हैं....उन्हें हमारी बात से कोई मतलब ही नहीं होता....!!"
"पता नहीं पिंकी....!!शायद मम्मी लोग कुछ ना कुछ जादू जानती जानती हैं...तभी तो प्यार करते हुए पापा भी अचानक आग-बबूला हो जाते हैं....और हमारी सिट्टी-पिट्टी गुम....!!बस एक ही बात...कि बदमाशी-बदमाशी-बदमाशी....ये बदमाशी ना हुई....भूत हो गई,जो हर समय हमारे पीछे पड़ी रहती है.....!!"
"हाँ राहुल..!!टी.वी देखो तो नहीं....गुडियों से खेलो तो नहीं...लुक्का-छिपी खेलो तो बोलेंगी बैठ कर खेलो...बैठ कर खेलो तो बोलेंगी हल्ला मत करो.....फिर हम क्या करें राहुल.....??"
"अरे यार यही तो मेरी समझ नहीं आता !!मैं अपनी छोटी कार फर्श पर या मेज पर चलता हूँ....तो नहीं....किसी छोटे बच्चे से खेलता हूँ....तो किसी बात पर वो रोने लगे....तो रसोई से ही मुझ पर चिल्लायेंगी...राहुल उसे मत छेडो
...क्या मैं कोई शैतान का बच्चा हूँ....जो सबको छेड़ता रहता हूँ....??"
"अब देखो ना राहुल....कल मैं आँगन वाले अमरुद के पेड़ पर चढ़ गई तो मेरी मम्मी कितना जोर से चीखी थीं....उस वक्त पापा भी तो घर में ही थे....झटपट वो बाहर निकले....तडातड उन्होंने मुझपर थप्पड़ बरसा दिए....कहने लगे लडकियां पेड़ पर नहीं चढ़तीं.....क्यूँ-क्यूँ...लडकियां पेड़ पर क्यूँ नहीं चढ़तीं ??"
"अरे बाप रे !!पेड़ पर चढ़ने के लिए तो अब तक मुझे इतनी मार मिल चुकी कि अब तो मुझे याद भी नहीं कि कितनी.....!!और तू लड़की की बात करती है....मैं तो लड़का हूँ....!!"
"....तो फिर हम करें तो क्या करें राहुल....मैं तो अब बड़ी तंग चुकी हूँ....इन पापा-और मम्मियों से....वैसे मैं पापा से बहुत प्यार करती हूँ....और वो भी मुझे....मम्मी से तो बहुत ही ज्यादा....मगर मेरी कभी नहीं सुनते....जब मम्मी उन्हें पट्टी पढ़ा देती हैं....!!"
"मैं भी यही सोचता हूँ....ये बदमाश शब्द तो हमारा पीछा ही नहीं छोड़ रहा.....!!"
"राहुल...!!ये बदमाश शब्द भला किसने बनाया है....चलो हम उसे मारते हैं.....!!"
"अरे पगली...!!ये तो डिक्शनरी में होता है....कोई बनाता थोडी ना है....!!"
" !!तो फिर बच्चे क्या करें.....??"
"मेरे दिमाग एन एक आईडिया आया है....!!"
"क्या ??...जल्दी बता ना.....!!"
"चल आज हम सब बच्चे शाम को पार्क में एक मीटिंग करते हैं....सब बच्चे तो अपने माँ-बाप से त्रस्त हैं ही...सब के सब हमारी बात जरूर मान लेंगे...और हम अपनी मांग मनवाने के लिए मोहल्ले में जुलुस निकालेंगे....!!
"धत्त !!.........जुलुस निकालेंगे.....सब को ही घर में और जोर की मार पड़ेगी....कान उमेठे जायेंगे....दर्द से बिलबिलाओगे ना.....तब पता चलेगा...हूँ जुलुस निकालेंगे....!!तुम भी ना राहुल....बिल्कुल मूर्खों वाले आईडिये खोज-खोज कर लाते हो....!!"
"तो क्या करें हम....क्या करें.....??"
"हम कुछ नहीं कर सकते....क्योंकि इस मामले में माँ-बापों की बड़ी तगडी तुकबंदी है....लगता है कोई यूनियनबाजी है....इन सके बीच....!!"
"तो क्या.... कोई उपाय नहीं....??"
"नहीं....!!मुझे तो दूर-दूर तक कोई उपाय नहीं दिखायी देता....!!"
"तो क्या ,हम सब इसी तरह मजबूर होकर जियें....??"
"सब ही तो जी रहे हैं....!!"
"तुम तो बिल्कुल डरपोक हो....मैं जाता हूँ किसी और के पास.....उसी से बात करूँगा....देख लेना पापा-मम्मी को तो हमारी बात माननी ही पड़ेगी....!!"
"हा-हा-हा-हा-हा-हा....!!तो जाओ ना....आज तुम सब बच्चों को मिला कर दिखा ही दो....जोर से चिल्ला कर कहों ना...दुनिया के बच्चों एक हों....हा-हा-हा-हा