जब लहरों से टकराये पत्थरवो पत्थर भी पल में बिखर जाता हैरेत बनके वो कण-कण से पत्थरसमन्दर में जाके वो मिल जाता हैजब लहरों से टकराये पत्थरखेवईयां चलाए बस्तियों कोबस्तियों से मिलाए बस्तियों कोजब समन्दर की लहरें बदल जाती हैंउजाड़ देती वो कितने बस्तियों कोजब लहरों से टकराये पत्थरहै कुदरत का सारा करिश्मालगा है लोगों का मजमाआज लहरों ने ऐसा कहर ढाया हैदिया है सबको इसका सदमाजब लहरों से टकराये पत्थरलड़ रहे हैं भाई सब अपनेबनाया है सबको जिसे रब नेधमनियों में बहता एक सा हैफिर बतलाया भेद हममें किसनेजब लेहरों से टकराये पत्थर(नरेन्द्र कुमार)...