मेरी रातें , मेरा शकुन है, मेरी सुविधा है, मेरी रातें , मेरी रचनात्मकता और सृजनात्मकता की रातें, आलस्य का असीम अवकाश लेकर आती रातें, मैं अँधेरी-उजली रातों में ही जीवित हूँ, शुक्लपक्ष की रातें ,तारो भरी रातें , रातें मेरी वास्तविक जगह है, मेरा पत्ता है, रात के मोर्चे पर ही मेरी तैनाती है, मेरी रातें उन हजारों -लाखों मेहनतकशो के नाम, जो आज भी भूखे पेट सोयें है....