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मंगलवार, 10 नवंबर 2009

आज की कविता-----------(किशोर कुमार खोरेन्द्र)

तुम बनी रहनाचिर वियोग का क्षितिजचलता रहूँगाराह सामै अंतहीनठहरूंगा नही किंचितआजीवनतुम्हें पाने के लीयेमैबन एक पथिकदर्दो कों शुलो सा सह जाऊँगाजहर कों मधु -बूंदों सा पी जाउंगायादो के तेरे पाक सुमनों कोंचढाहर मन्दिरसीढियों से उतरफ़ीर जीता रहूँगा बनएक गर्दिश तुम यथार्थ और स्वप्न भीतुम अन्नत दूरीऔर होमेरे बहुत समीपतुम खुश्बू मेरीमैचन्दन सा वृक्षबाहुपाश मे तुम्हारेहोने समाहितमै भट्कुंगा-जन्मो तकजान यह कि -तुम्हें पाना है असंभवऔर क...