तनिक बतायें नेताजी, राष्ट्रवादियों के गुण खासा।उत्तर सुनकर दंग हुआ और छायी घोर निराशा।।नारा देकर गाँधीवाद का, सत्य-अहिंसा क झुठलाना।एक है ईश्वर ऐसा कहकर, यथासाध्य दंगा करवाना।जाति प्रांत भाषा की खातिर, नये नये झगड़े लगवाना।बात बनाकर अमन-चैन की, शांति-दूत का रूप बनाना।खबरों में छाये रहने की, हो उत्कट अभिलाषा।राष्ट्रवादियों के गुण खासा।।किसी तरह धन संचित करना, लक्ष्य हृदय में हरदम इतना।धन-पद की तो लूट मची है, लूट सको तुम लूटो उतना।सुर नर मुनि सबकी यही रीति, स्वारथ लाई करहिं सब प्रीति।तुलसी भी ऐसा ही कह गए और तर्क सिखाऊँ कितना।।पहले "मैं" हूँ राष्ट्र...