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शुक्रवार, 7 मई 2010

आईना से बहाना क्यूँ है.........(गजल)..........श्यामल सुमन

खुशी से दूर सभी फिर ये ठिकाना क्यूँ है?
अमन जो लूटते उसका ही जमाना क्यूँ है?

सभी को रास्ता जो सच का दिखाते रहते
रू-ब-रू हो ना आईना से बहाना क्यूँ है?

धुल गए मैल सभी दिल के अश्क बहते ही
हजारों लोगों को नित गंगा नहाना क्यूँ है?

इस कदर खोये हैं अपने में कौन सुनता है?
कहीं पे चीख तो कहीं पे तराना क्यूँ है?

बुराई कितनी सुमन में कभी न गौर किया
ऊँगलियाँ उठतीं हैं दूजे पे निशाना क्यूँ है?

टैगोर-------------------------सन्तोष कुमार "प्यासा"

आज गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर जी की १५० वा जन्म दिवश है !


टैगोर जी की रचनाए विश्व प्रसिध्ध है ! पुरे विश्व में सिर्फ टैगोर ही ऐसे थे जिनकी रचनाओ को दो देशों (भारत और बंगलादेश) में रास्त्रगन का सम्मान मिला !

टैगोर जी की याद में उनकी एक रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ !