कही दूर हमेशा-हमेशा के लिये----------------------------------वो दूंड रही थी बेचेनी में ,करुण क्रंदन के साथ,वो चिड़िया ,हाँ --------वो चिड़िया ---कल था उसका बसेरा जहाँ ,आज ढेर था पड़ा बहाँ ,सुबह सबेरे के उगते सूरज कि लालिमा ,आसमान में किसी चित्रकार कि चित्रकारी का नमूना सी दिखाई देती थी जहाँ,कोयल कि तान औरकौओ की कर्कश ध्वनि के साथ किसी के आने का सन्देश देती आवाज़ ,अब सब लुप्त होती जा रही हें गिरती बिल्डिंग के साथ,और वो प्यारा सा रंगीन पंखो बाला नीलकंठ !जिसकी आवाज़ सुन बैचेन हो उटता था मन उसे देखने को ,कभी-कभी दिखा करता था कबूतर का इक जोड़ा अक्सरजो...