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मंगलवार, 13 जुलाई 2010

वरिष्ठ कवि अरुण कमल से अरविन्द श्रीवास्तव की बातचीत

आज के साहित्य में शोषितों यानी गरीबों की आवाज मद्धिम पड़ी है......वरिष्ठ कवि अरुण कमल से अरविन्द श्रीवास्तव की बातचीतः-अरविन्द श्रीवास्तव- भूमंडलीयकरण और बाजारवाद में आप युवा कवियों से क्या-क्या अपेक्षाएँ रखते हैं ?अरुण कमल- मुझे कभी किसी कवि से कोई अपेक्षा नहीं होती । कवि जो भी कहता है मैं उसे सुनता हूँ। अगर उसकी धुन मेरी धुन से , मेरे दिल की धड.कन से , मिल गयी तो उसे बार-बार पढ.ता हूँ।दूसरी बात यह कि युवा कवि कहने से आजकल प्रायः किसी ‘कमतर’ या...