
आज के साहित्य में शोषितों यानी गरीबों की आवाज मद्धिम पड़ी है......वरिष्ठ कवि अरुण कमल से अरविन्द श्रीवास्तव की बातचीतः-अरविन्द श्रीवास्तव- भूमंडलीयकरण और बाजारवाद में आप युवा कवियों से क्या-क्या अपेक्षाएँ रखते हैं ?अरुण कमल- मुझे कभी किसी कवि से कोई अपेक्षा नहीं होती । कवि जो भी कहता है मैं उसे सुनता हूँ। अगर उसकी धुन मेरी धुन से , मेरे दिल की धड.कन से , मिल गयी तो उसे बार-बार पढ.ता हूँ।दूसरी बात यह कि युवा कवि कहने से आजकल प्रायः किसी ‘कमतर’ या...