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शुक्रवार, 28 अक्टूबर 2011

जिन्दगी : बस यूँ ही {कविता} सुमन ‘मीत’

   1 जिन्दगी की खुशियाँ दामन में नहीं सिमटती ऐ मौत ! आ तुझे गले लगा लूँ...........     2 जिन्दगी एक काम कर मेरी कब्र पर थोड़ा सकून रख दे कि मर कर जी लूँ ज़रा..........       3 जिन्दगी दे दे मुझे चन्द टूटे ख़्वाब कुछ कड़वी यादें कि जीने का कुछ सामान कर लूँ........                    &...