
मेरी नानी बहुत प्यारी थी ....वो सभी को प्यार करती थी ...क्या लिखूं उनके बारे में ...शब्द नहीं है मेरे पास ...अब वो नहीं हैं ....बहुत याद आती है उनकी....उनसे मिलना बस गर्मियों की छुट्टियों में ही हो पाता था ... उनके बारे में ज्यादा तो मम्मी से ही जानने को मिला ....मुझे समझ में नहीं आता कि कैसे कोई इतना स्वाभिमानी हो सकता है ....वो पढ़ी-लिखी नहीं थी ...लेकिन अनपढ़ भी नहीं थी ...लिखना पढ़ना जानती थी वो..नाना जी के जाने के साल भर बाद वो भी चली गयीं..भगवान...