
खौफ का जो कर रहा व्यापार है आदमी वो मानिये बीमार है चार दिन की ज़िन्दगी में क्यूँ बता तल्खियाँ हैं, दुश्मनी, तकरार है जिस्म से चल कर रुके, जो जिस्म पर उस सफ़र का नाम ही, अब प्यार है दुश्मनों से बच गए, तो क्या हुआ दोस्तों के हाथ में तलवार है लुत्फ़ है जब राह अपनी हो अलग लीक पर चलना, कहाँ दुश्वार है ज़िन्दगी भरपूर जीने के लिए ग़म, खुशी में फ़र्क ही बेकार हैबोल कर सच फि़र बना 'नीरज' बुराक्या करे...