ठीकराभारतीय राजनीति में आजकल एक शब्द बहुत ही प्रचलित होता जारहा है ,‘ठीकरा’ ।अब ‘ठीकरा’ बेचारा एसी निर्जीव तुच्छ वस्तु है जिसे हर कोई एक दूसरे के सिर पर ही फोडने के लिऐ आमादा रहता है। मजे की बात ये है कि ठीकरे को भी कभी कोई गुरेज नहीं , आपकी मर्जी आए जब चाहे जहाँ फोडो....आप चाहे अपने पडोसी के सिर पर फोडे या फिर दूसरे मोहल्ले किसी भी अनजान व्यक्ति के सिर पर फोडे...। बस शर्त ये ही है कि बाद की स्थिति का मुकाबला करने की आपमें क्षमता होनी चाहिऐ।‘ठीकरे’ की नियती तो फूटना ही है कहीं भी फूटेगा....लेकिन फूटेगा जरूर...!हालाँकि...