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शुक्रवार, 20 नवंबर 2009

हे भगवान ! खानें में इतना जहर

क्या आपको पता है हम और आप नित्य ही जहर का सेवन करते हे, । आप लोग सोच रहें होंगे कि ये कैसे हो सकता है। अगर हम नित्य जहर खाते तो मर नहीं जाते क्या ? बात तो सही है, जिस जहर का सेवन हम नित्य कर रहे है वह हमें इतने आसानी से थोड़ीं न मरने देगा। श्रृष्टि के आंरभ से ही भोजन की एक अनिवार्य आवश्यकता रही है। मानव के लिए ही नहीं, पशु-पक्षियों एंव वनस्पतियों के लिए। प्राचिनकाल में मनुष्य शिलाग्रहों (गुफाओं) में निवास करते थे, । पशु पक्षियों का माश भी उनके उदरपोषण का साधन था। वैदिक युग में कृषि की शुरुआत हुई। वैदिक सूक्तों में कृषि तथा अन्न से संबधित इंद्र,...