हमारा प्रयास हिंदी विकास आइये हमारे साथ हिंदी साहित्य मंच पर ..

शनिवार, 21 अगस्त 2010

अरे हम बंदी किसके थे जो हमें कोई आजाद करेगा हमने तो उन्हें केवल व्यापर के लिए चंद समय और जगह दी थी.. Ankur Mishra "YUGAL"

आखिर आ ही गया हमारी स्वतंत्रता का ६४वा वर्ष ! चलिए हम जरा विचार करते है की हमने , हमारे भारत के लिए इन ६४ वर्षों में कितने महान कार्य और कितने सराहनीय कार्य किये है, जिनसे हमारा और हमारे मुल्क का विकाश हुआ है! जी हा हम कह रहे है अब ६४ वर्ष जो अब बीत चुके है जो बहुत ज्यादा होते है, आजकल तो एक मनुष्य की उम्र भी नहीं होती इतनी .... फिर भी हम उनसे पीछे क्यों है, क्या हमारे पास संसाधनों की कमी है ,क्या हमारे पास तकनीक की कमी है ,क्या हमारे पास दिमाग की कमी है ,क्या हमारे पास शक्ति की कमी है???नहीं हम किसी में भी काम नहीं है !हम एक अरब से...

शमशान-----{कविता}----- वंदना गुप्ता

दुनिया के कोलाहल से दूरचारों तरफ़ फैली है शांति ही शांतिवीरान होकर भी आबाद है जोअपने कहलाने वालों के अहसास से दूर है जोनीरसता ही नीरसता है उस ओरफिर भी मिलता है सुकून उस ओरले चल ऐ खुदा मुझे वहांदुनिया के लिए कहलाता है जो शमशान य...