तुझे दिल याद करता है तो नग़्मे गुनगुनाता हूँजुदाई के पलों की मुश्किलों को यूं घटाता हूंजिसे सब ढूंढ़ते फिरते हैं मंदिर और मस्जिद मेंहवाओं में उसे हरदम मैं अपने साथ पाता हूंफसादों से न सुलझे हैं, न सुलझेगें कभी मसलेहटा तू राह के कांटे, मैं लाकर गुल बिछाता हूंनहीं तहजीब ये सीखी कि कह दूं झूठ को भी सचगलत जो बात लगती है गलत ही मैं बताता हूंमुझे मालूम है मैं फूल हूं झर जाऊंगा इक दिनमगर ये हौसला मेरा है हरदम मुस्कुराता हूंनहीं जब छांव मिलती है कहीं भी राह में मुझकोसफर में अहमियत मैं तब शजर की जान जाता हूंघटायें, धूप, बारिश, फूल, तितली, चांदनी 'नीरज'तुम्हारा...