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शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

उजालों के रास्ते......दीपक शर्मा

वैसे ही बहुत कम हैं उजालों के रास्ते,फिर पीकर धुआं तुम जीतो हो किसके वास्ते,माना जीना नहीं आसान इस मुश्किल दौर मेंकश लेके नहीं निकलते खुशियों के रास्तेजिन्नात नहीं अब मौत ही मिलती है रगड़ कर,यूँ सूरती नहीं हाथों से रगड़ के फांकते ,तेरी ज़िन्दगी के साथ जुडी कई और ज़िन्दगी,मुकद्दर नहीं तिफ्लत के कभी लत में वारते ,पी लूं जहाँ के दर्द खुदा कुछ ऐसा दे नशा ,"दीपक" नहीं नशा कोई गाफिल से पालते...