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शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

मैं बेफिक्र होकर सोया हुआ था-------[कविता]-------हिमांशु वाजपेयी

मैं बेफिक्र होकर सोया हुआ थातेरे नर्म ख्वाबों में खोया हुआ थाखुदा जाने फ़िर क्या ज़रूरत हुईबिना कुछ कहे तू जो रुखसत हुईमुझे लग रहा था के लौट आएगीइस तरह तू क्यों चली जायेगीमैं पूरा यकीं तुझपे रखता रहामुसलसल तेरी राह तकता रहाअपने मुकद्दर से दम भर लड़ाअब तक उसी मोड़ पर हूँ खड़ादिल में अगर प्यार बाकी रहेफिर चली आना बिना कुछ ...

प्यार का पंरीदा

आज एक परिंदे को, प्यार में तड़फते देखा. उसे प्यार में मरते देखा, और देखा प्यार के लिए जीने की तम्मना. मैंने देखा उसके प्यार को, वह निष्ठुर बना रहा. न समझ पाया परिंदे के प्यार को, और बन बैठा हत्यारा अपने प्यार का. क्या गुनाह किया परिंदे ने, सिर्फ किया तो उसने प्यार था. जी रहा वो हत्यारा पँछी का, आज किसी दूसरे यार संग.  प्रमेन्द्र ...