यह कैसा ग़म है यह कैसा ग़म हैलब खामोश दिल उदास और आँख नम हैहौंसला बीमार, उम्मीदें अधमरी, मरा जज्बामेरे जिस्म में मचा हुआ एक मातम हैबदन की झुर्रियों की गिनती तोअब भी दिल के ग़मों से कम हैसूखे में सूख गई उम्मीदें सारीऔर चटके हुए बदन में बाकी हम हैं.खुशियाँ तो जैसे अगवा कर लीं किसी नेअब बाकी, बाकी बचा तो बस ग़म है...