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शनिवार, 30 जनवरी 2010

एक प्रेम कहानी ऐसी भी [कहानी]---अनिल कान्त

रात लौट आई लेकर फिर से वही ख्वाबकई बरस पहले सुला आया था जिसे देकर थपथपीकमबख्त रात को भी अब हम से बैर हो चला है अक्सर कहानी शुरू होती है प्रारंभ से...बिलकुल शुरुआत से...लेकिन इसमें ऐसा नहीं...बिलकुल भी नहीं...ये शुरू होती है अंत से...जी हाँ दी एंड से...कहानी का नहीं...उनके प्यार का...हाँ वहाँ से जहाँ से उनका प्यार ख़त्म होता है...उनकी आखिरी मुलाकात के साथ...जब प्रेरणा और अभिमन्यु आखिरी बार मिलते हैं...प्रेरणा की शादी के साथ..और फिर 5 साल बाद.....एक छोटा सा स्टेशन है...गाडी रूकती है...स्टेशन सुनसान है...अभिमन्यु ट्रेन से उतरता है...एक परिवार और उतरा...

आजादी हमें खड्ग, बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल (आलेख )- प्रमेन्द्र प्रताप सिंह

आज महात्‍मा गांधी की पुण्‍यतिथि है, सर्वप्रथम श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ। कल दैनिक जागरण मे साबरमती के संत गीत के सम्‍बन्‍ध मे एक लेख था और आज के संस्‍करण मे उसी से सम्‍बन्‍ध चर्चा पढ़ने को मिली। महात्मा गांधी के सम्मान में गाए जाने वाले गीत..दे दी आजादी हमें खड्ग, बिना ढाल, साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल.. आज के समय मे कितना उचित है यह जानना जरूरी है ?महात्‍मा गांधी जी ने देश की आजादी मे अहम योगदान दिया इसे अस्‍वीकार करना असम्‍भव है पर यह गीत...