मेरी रातें , मेरा शकुन है,
मेरी सुविधा है, मेरी रातें ,
मेरी रचनात्मकता और सृजनात्मकताकी रातें,
आलस्य का असीम अवकाश लेकर आती रातें,
मैं अँधेरी-उजली रातों में ही जीवित हूँ,
शुक्लपक्ष की रातें ,तारो भरी रातें ,
रातें मेरी वास्तविक जगह है,
मेरा पत्ता है,
रात के मोर्चे पर ही मेरी तैनाती है,
मेरी रातें उन हजारों -लाखों मेहनतकशो के नाम,
जो आज भी भूखे पेट सोयें है.
7 comments:
चंद्रपाल जी आपने रात के तन्हाई में होनें वाले एहसास का बखूबी वर्णन किया है , । आभार
बहुत ही खूबसूरत रचना लगी , बधाई ।
Bahut Sundar rachana.....Aabhar!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
बहुत गहरी अभिव्यक्ति है चन्द्रपाल जी को बधाई
बहुत सुन्दर रचना है!
बेहतरीन अभिव्यक्ति लगी , बधाई आपको ।
aap sabhi ko meri rachna pasand aai iska sukriya..chandrapal@aakhar.org, http://aakhar.org
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