अनजाने रिश्ते का एहसास,
बयां करना मुश्किल था ।
दिल की बात को ,
लबों से कहना मुश्किल था ।
वक्त के साथ चलते रहे हम ,
बदलते हालात के साथ बदलना मुश्किल था ।
खामोशियां फिसलती रही देर तक,
यूँ ही चुपचाप रहना मुश्किल था ।
सब्र तो होता है कुछ पल का ,
जीवन भर इंतजार करना मुश्किल था ।
वो दूर रहती तो सहते हम ,
पास होते हुए दूर जाना मुश्किल था ।
अनजाने रिश्ते का एहसास ,
बयां करना मुश्किल था ।
4 comments:
वाह, बहुत सुन्दर दुबे जी !
खामोशियां फिसलती रही देर तक,
यूँ ही चुपचाप रहना मुश्किल था ।
बहुत सुन्दर.
खामोशियां फिसलती रही देर तक,
यूँ ही चुपचाप रहना मुश्किल था
Kya baat kahi hai ...MASHAALLAH bhaut khoob
tumhari kavitao ki to me fan hu mithilesh bhai...bohot sundar...
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