उनकी एक झलक पाने की ख़ातिर
हम नैन बिछाए रहते हैं,
न जाने कब वो आ जाएं
इस कारण एक आँख राह में
और दूजा काम में टिकाए रखते हैं,
इंतज़ार ख़त्म हुआ
उनका दीदार हुआ,
सोचा था जब वो मिलेंगे हमसे
दिल की बात बयाँ करेंगे,
अपने सारे जज़बात उनको बता देंगे,
हाय ये क्या गजब हुआ
जो सोचा था उसका विपरीत हुआ,
वो आए..थोड़ा सा मुस्कुराए
और कह दी उन्होने ऐसी बात
जिससे दिल को हुआ आघात,
कहा उस ज़ालिम ने
मेरा हमदम है कोई और,
मेरी मंज़िल है कोई और
बस कहने आयी थी दिल की बात
फिर होगी अगले बरस मुलाकात ।।
3 comments:
बहुत खूब!
कभी कभी मेरे यार ऐसा ही होता है।
हँसता है वो और दिल अपना रोता है।
वो आए, और कुछ कहकर चले गए।
जिनके इंतजार में, दीये से हम जले गए।
अहिंसा का सही अर्थ
बहुत सुन्दर कविता , शुभकामनायें !
अब क्या किया जा सकता है... ज्यादातर ऐसा ही होता है..॥
अपने मनोभावों को बहुत सुन्दर शब्द दिए हैं।बधाई।
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