
महिला दिवस पर लिखी मेरी ये कविता विश्व की समस्त महिलाओं को समर्पित है :
स्त्री होना, एक सहज साअनुभव हैक्यों, क्याक्या वो सब हैकुछ नहींनारी के रूप कोसुन, गुनमैं संतुष्ट नहीं थाबहन, बेटी, पत्नी, प्रेमिकाइनका स्वरुप भीकितना विस्तृतहो सकता, जितनाब्रह्मांड, का होता हैजब जाना, नारी उस वट वृक्षको जन्म देती हैजिसकी पूजासंसार करता हैजिसकी जड़इतनी विशाल होती हैकि जब थका मुसाफ़िरउसके तलेविश्राम करता हैतब कुछ क्षण बाद हीवो पाता हैशांति का प्रसादसुखांत,...