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गुरुवार, 15 मई 2014

जग जलेगा

सच कहेगा तो मरेगा    दुश्मनी से घर जलेगा   झूठ यारो सर धुनेगा   हाल दिल का कब सुनेगा   कोठरी दिल गम पलेगा  दिल है दर्पण सच कहेगा  साथ तू है जग जलेगा                     गुमनाम पिथौरागढ़ी...

शुक्रवार, 9 मई 2014

मर कर जीना सीख लिया

अब दुःख दर्द में भी मैने मुस्कुराना सीख लिया जब से अज़ाब को छिपाने के सलीका सीख लिया। बेवफाओं से इतना पड़ा पाला कि अब इल्तिफ़ात से भी किनारा लेना सीख़ लिया। झूठे कसमें वादों से अब मैं कभी ना टूटूंगा ग़ार को पहचानने का हुनर जो सीख लिया। वो कत्लेआम के शौक़ीन हैं तो क्या हुआ मैंने भी तो अब मर के जीने का तरीका सीख़ लिया। सुनसान रास्तों पर चलने से अब डर नहीं लगता मैंने अब इन पर आना-जाना सीख लिया।  शब्दार्थ ::: इल्तिफ़ात- मित्रता ग़ार- विश्वासघात अज़ाब - पीड़ा...