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गुरुवार, 27 दिसंबर 2012

भ्रष्टाचार

यहा हर तरफ है बिछा हुआ भ्रष्टाचार ! हर तरफ फैला है काला बाजार !! राजा करते है स्पेक्ट्रम घोटाला ! जनता कहती है उफ मार डाला !!लालू का चारा कलमाणी का राष्ट्रमण्डल !जनता बेचारी घुट रही है पल-पल !!यहा होते है घोटाले करोणो मे !यहा फलता है भ्र्ष्टाचार नेताओं के पेङो मे !!मेरी दुनिया का इतिहास है ये,चोरी,दंगा,फसाद है ये !बलात्कार,जुर्म और शोषण,मनुष्यो का इतिहास है ये !!हत्या,फिरौती और लूट दुनिया का इश्तहार है ये !नेता,डीलर और किलर रीश्तो मे रीश्तेदार है ये !!और हमारे नेता कांट्रेक्ट किलर के बाप है ये !मंच और भाषण मे फिल्मो के अमिताभ है ये !!लाखो नही...

बुधवार, 26 दिसंबर 2012

कुंडलियाँ -----त्रिलोक सिंह ठकुरेला

                            (  1  ) सोना तपता आग में , और निखरता रूप . कभी न रुकते साहसी , छाया हो या धूप. छाया हो या धूप , बहुत सी बाधा आयें . कभी न बनें अधीर ,नहीं मन में घवराएँ . 'ठकुरेला' कवि कहें , दुखों से कैसा  रोना . निखरे सहकर कष्ट , आदमी हो या सोना .                    ( 2  ) होता है मुश्किल  वही,...