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शुक्रवार, 30 मार्च 2012

पीकर धुआं तुम जीतो हो किसके वास्ते---(दीपक शर्मा)

वैसे ही बहुत कम हैं उजालों के रास्ते,फिर पीकर धुआं तुम जीतो हो किसके वास्ते,माना जीना नहीं आसान इस मुश्किल दौर मेंकश लेके नहीं निकलते खुशियों के रास्तेजिन्नात नहीं अब मौत ही मिलती है रगड़ कर,यूँ सूरती नहीं हाथों से रगड़ के फांकते ,तेरी ज़िन्दगी के साथ जुडी कई और ज़िन्दगी,मुकद्दर नहीं तिफ्लत के कभी लत में वारते ,पी लूं जहाँ के दर्द खुदा कुछ ऐसा दे नशा ,"दीपक" नहीं नशा कोई गाफिल से पालते...

बुधवार, 28 मार्च 2012

लकीर (कविता)---सुजाता सक्सेना

मैंइकलकीरबनाती अगरहोती हाथमेरे कलम,समां देती उसमेअपनेसारे सपनेऔर आशाओं के महल !इस सिरे सेउस सिरे तक -लिख देतीनाम तुम्हारेजीवन की हर इक लहर !पर एक ख्यालभर रह गया जेहन में ये मेरे -समझ गईअब इनटूटते -टकराते -किनारोंसे में किन इकलकीर मेंसमाते हैंसपने, औरन हीकलम बनातीहै कोई ऐसीलकीर...

विनोबा का भूदान और आज का भारत----(कन्हैया त्रिपाठी)

गांधी के सच्चे लोगों में विनोबा भावे एक ऐसा नाम है जो वास्तव में गांधी जी के कार्यों को भली प्रकार उनकी मृत्यु के बाद आगे ले गए। विनोबा ने अपने समय के उन मूल्यों और आध्यात्मिक पहलुओं पर विचार किया जो किसी गांधीवादी और सच्चे समाज सेवक के लिए मिसाल है। उनके जीवन का सबसे उत्तम आन्दोलनों में पहले गांधी के रचनात्मक कार्य प्रमुख थे लेकिन वह जय जगत के वास्तविक स्वरूप को पाने के लिए भूदान आन्दोलन की ओर बढ़े।उन्होंने 18 अप्रिल, 1958 को गांधी की मृत्यु के 10 वर्ष बाद इस आन्दोलन की शुरुआत तेलंगाना क्षेत्र के पोचमपल्ली गांव से की। भूदान का अर्थ है-भूमिहीनों...

शुक्रवार, 23 मार्च 2012

कही दूर हमेशा-हमेशा के लिये---(कविता)---संगीता मोदी "शमा"

कही दूर हमेशा-हमेशा के लिये----------------------------------वो दूंड रही थी बेचेनी में ,करुण क्रंदन के साथ,वो चिड़िया ,हाँ --------वो चिड़िया ---कल था उसका बसेरा जहाँ ,आज ढेर था पड़ा बहाँ ,सुबह सबेरे के उगते सूरज कि लालिमा ,आसमान में किसी चित्रकार कि चित्रकारी का नमूना सी दिखाई देती थी जहाँ,कोयल कि तान औरकौओ की कर्कश ध्वनि के साथ किसी के आने का सन्देश देती आवाज़ ,अब सब लुप्त होती जा रही हें गिरती बिल्डिंग के साथ,और वो प्यारा सा रंगीन पंखो बाला नीलकंठ !जिसकी आवाज़ सुन बैचेन हो उटता था मन उसे देखने को ,कभी-कभी दिखा करता था कबूतर का इक जोड़ा अक्सरजो...

शनिवार, 17 मार्च 2012

दिल को बहलाना सीख लिया {ग़ज़ल} सन्तोष कुमार "प्यासा"

जबसे तेरी यादों में दिल को बहलाना सीख लिया हमने मुहब्बत में खोकर भी पाना सीख लिया जब धड़कन-२ भीगी गम से, सांसे भी चुभने लगी दर्द की चिंगारी को बुझाने के लिए आंसू बहाना सीख लिया तरसी-२ प्यासी-२ भटकती हैं मेरी नजरें इधर उधर जबसे तेरी आँखों ने संयत अदा में शर्मना सीख लिया जबसे तेरे शहर में, तेरे इश्क में बदनाम हम हुए समझ गए ज़माने की अदा, दिल से दिल की बातें छुपाना सीख लिया पन्नो में लिपटे, मुरझाए गुलाब की खुश्बू से सीखकर हमने ज़िन्दगी में खुद लुटकर सबको हँसाना सीख लिया...

मंगलवार, 13 मार्च 2012

वैज्ञानिक एवं सर्वश्रेष्ठ है नागरी लिपि- जस्टिस जोइस

नई दिल्ली। ‘नागरी लिपि पूर्णतयः वैज्ञानिक एवं विश्व की सर्वश्रेष्ठ लिपि है। भारत की सभी भाषाओं की एक अतिरिक्त लिपि के रूप में यह राष्ट्रीय एकता का सेतूबंध है इसलिए मैंने संसद सदस्य के रूप में पेश अपे प्राईवेट बिल के द्वारा हर भारतीय नागरिक के लिए इसका प्रशिक्षण अनिवार्य करने का सुझाव दिया है।’ सांसद जस्टिस एम.रामा जोइस ने आजाद भवन में नागरी लिपि राष्ट्रीय संगोष्ठी में मुख्य अतिथि के पद से बोलते हुए संसद में विभिन्न स्थानों पर सुनहरी अक्षरों से नागरी लिपि में लिखे सद्वाक्यों की चर्चा भी की। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद एवं नागरी लिपि परिषद...