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गुरुवार, 16 फ़रवरी 2012

अवनीश सिंह चौहान को थिंक क्लब वार्षिक पुरस्कार

संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित द थिंक क्लब (http://www.thethinkclub.com/) ने पूर्वाभास(http://www.poorvabhas.in/) के संपादक अवनीश सिंह चौहान को हिंदी भाषाऔर साहित्य की उन्नति हेतु थिंक क्लब वार्षिक पुरस्कार से सम्मानित करनेकी घोषणा की है। थिंक क्लब हिंदी भाषा की उन्नति के लिए प्रतिबद्ध है। इसहेतु 'थिंक क्लब' ने इस वर्ष हिंदी जगत के अज्ञात तथा संघर्षरत लेखकों कोपुरस्कार दिए जाने की घोषणा की थी। पुरस्कार की रकम १५,००० (भारतीयरुपया) है। थिंक क्लब का मानना...

अवनीश सिंह चौहान को थिंक क्लब वार्षिक पुरस्कार अवनीश सिंह चौहान को थिंक क्लब वार्षिक पुरस्कार

संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित द थिंक क्लब(http://www.thethinkclub.com/) ने पूर्वाभास(http://www.poorvabhas.in/) के संपादक अवनीश सिंह चौहान को हिंदी भाषाऔर साहित्य की उन्नति हेतु थिंक क्लब वार्षिक पुरस्कार से सम्मानित करनेकी घोषणा की है। थिंक क्लब हिंदी भाषा की उन्नति के लिए प्रतिबद्ध है। इसहेतु 'थिंक क्लब' ने इस वर्ष हिंदी जगत के अज्ञात तथा संघर्षरत लेखकों कोपुरस्कार दिए जाने की घोषणा की थी। पुरस्कार की रकम १५,००० (भारतीयरुपया) है। थिंक क्लब का मानना है कि पूर्वाभास के द्वारा किया गयाप्रयास हिंदी जगत के संघर्षरत कवियों ओर लेखकों को एक आवश्यक मंच...

शुक्रवार, 10 फ़रवरी 2012

उजालों के रास्ते......दीपक शर्मा

वैसे ही बहुत कम हैं उजालों के रास्ते,फिर पीकर धुआं तुम जीतो हो किसके वास्ते,माना जीना नहीं आसान इस मुश्किल दौर मेंकश लेके नहीं निकलते खुशियों के रास्तेजिन्नात नहीं अब मौत ही मिलती है रगड़ कर,यूँ सूरती नहीं हाथों से रगड़ के फांकते ,तेरी ज़िन्दगी के साथ जुडी कई और ज़िन्दगी,मुकद्दर नहीं तिफ्लत के कभी लत में वारते ,पी लूं जहाँ के दर्द खुदा कुछ ऐसा दे नशा ,"दीपक" नहीं नशा कोई गाफिल से पालते...

सोमवार, 6 फ़रवरी 2012

मेरी माँ ------(मुस्तकीम खान)

जन्नत मुजको दिला दी जिसने दुनिया मैंवो हे मेरी माँदुनिया मैं जीने का हक दिया मुजको वो हे मेरी माँकचरे का डेर नदिया किनारा था मेरामुजको अपनी दुनिया ली वो हे मेरी माँरात का अंधेरा मेरी आखो का डरमेरे डर मेरी ताकत बनी वो हे मेरी माँमैं डर क़र ना सोया पूरी रात कभीमेरे लिए जागकर मुझे सुलाया वो हे मेरी माँकभी परेशानी मेरा सवब जो बनीमेरे रास्ते मैं फूल जिसने बिखेरे वो हे मेरी माँमेरे जुर्म की सजा खुद नेपाई मुजको अपने आचल मैं छुपा लिया वो हे मेरी माँमंदिर मस्जिद ना किसी की खबर मुजकोना गीता कुरान का ज्ञान मुजको फिर भी मुजको जहन्नुम से बचायवोवो हे मेरीमाँ...

शुक्रवार, 3 फ़रवरी 2012

कौन तेरा मार्ग रोके?-----(अभिषेक )

पश्चिम से उन्मुक्त लहर आई है ,खजूर के वो पेड़ केमधुर मिलन की खबर लायी है!तूफ़ान ने तो दोपेड़ो को मिला दिया !जो हम नहीं कर सकतेउन्होंने सिखा दिया !प्रेम भी तो तूफ़ान हैसदभावनाओं की खान हैजोअन्दर से भीपाताल के बहतेनिर्झर के जैसा है!औरशक्ति अपार उसतांडव जट्टाधारी सेप्रकट हो तो वोएक प्रलय के जैसा है !जो हुआ ऐसा अंततबकौन ये विधान रोके?कौन ये तूफ़ान रोके?वो डूबता सूरजभी आ गया हैअब सवार होअपने श्वेत घोड़े पर !इस अनोखे दृश्य केहोंगे हम मनुहारीसाक्षी होगा स्वयंइस काल का पहर !गगन और धराहो जायेंगे संग संगतबकौन ये साकार रोकेकौन ये एकाकार रोके ?क्षितिज समेटे...