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शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

आओ चलो हम भी गाँधी बन जाए-----------[कविता]----------अजय ऐरन


आओ चलो हम भी गाँधी बन जाए ....
क्यों न हम भी संत कहलाये ........
एक धोती धारण करके हम भी ………
दुनिया को सत्य और अहिंसा का पाठ पढाये ……
आओ चलो हम भी गाँधी बन जाए

एक गोल गोल ऐनक लगाए ……………
और दुनिया को बुरा न देखने का उपदेश पढाये
आओ चलो हम भी गाँधी बन जाए

खद्दर धारण करके हम भी ……..
गाँधी टोपी खूब जचाये …..
आओ चलो हम भी गाँधी बन जाए ….

हम भी पैदल दांडी यात्रा कर आए ……..
ज्यादा नही तो एक तसला ही सही ………
भरा नही तो खाली ही सही ……
अपने सर पर हम उठाये ………
आओ चलो हम भी गाँधी बन जाए


हजारों को न तो दो को ही सही ……
सच्चो को न सही , मॉडल ही सही ………..
किसी गरीब को गले गले लगा कर फोटो खिचवाये ……..
आओ चलो हम भी गाँधी बन जाए

क्यो न हम भी खादी घर से
एक चरखा तुंरत ले आए …..
ड्राइंग रूम में उसे सजाये …..
आओ चलो हम भी गाँधी बन जाए ....

हम भी जनता का आह्वान करे ……..
उसको गरीबी और भूख से आजादी के सपने दीखलायें …..
उन सपनो की एवज में , हाँ सिर्फ़ सपनो की एवज में …..
हम अपने घर को , समृधि से भर पाए….
आओ चलो हम भी गाँधी बन जाए ....

वो गाँधी था, उसने करके दीखलाया …..
सत्य अहिंसा के रास्ते मातृभूमि को आजाद कराया ….
चलो हम उसके कथ्यों और कर्मो का लाभ उठाये ....
आओ चलो हम भी गाँधी बन जाए ....


4 comments:

Mithilesh dubey ने कहा…

गाँधी जी का जीवन हमारे लिए हमेशा प्रेणना स्त्रो रहेगा । बहुत उम्दा कविता लगी

जय हिन्दू जय भारत ने कहा…

काश की ऐसा हो पाता ।

vandana gupta ने कहा…

bahut badhiya prastuti.

UNBEATABLE ने कहा…

सभी टिपण्णी कर्ताओं को कोटिशः धन्यवाद ... और हिंदी साहित्य मंच का दिल से आभार प्रकट करता हूँ जिन्होंने मेरी कविता को इतने प्रतिष्टित मंच पर प्रकाशन योग्य समझ उसको प्रकाशित किया.