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बुधवार, 20 जनवरी 2010

बसंत की फुहार में..................फागुन की बयार में [कविता ] - नीशू तिवारी

बसंत की फुहार में,

फागुन की बयान में,

आम के बौरों की सुगंध,

दूर -दूर तक फैली है,



कोयल की कूकें,

मधुरता घोलती हैं

खेतों में लहलहाती

गेंहूँ की बालियां,

और

सरसो के फूलों पर,

मडराती मक्खियां,

गुनगुनी धूप में आनंदित हैं।



पंछियों की चहचहाहट,

कलियों की किलकिलाहट,

भौंरों की गुनगुनाहट से

प्रकृति रंग चली है,



हवाएं मचल रही हैं,

घटाएं बदल रही है ,

प्यार बरस रहा है चारों तरफ,

बसंत की फुहार में,

फागुन की बयार में।