गार्गी गुप्ता ,
जन्म - ७ अगस्त, जिला एटा (उत्तर प्रदेश) भारत
शिक्षा : स्नातक
रुचियाँ : नृत्य , लेखन, अभिनय, भाषण
पुरुस्कार :
भाषण - सीलिंग समस्या , नारी और उसका अस्तित्व के लिए प्रथम पुरस्कार महा विद्यालय स्तर पर
नृत्य - मुक्त सांस्कृतिक लिए प्रथम पुरस्कार महा विद्यालय स्तर पर
कविता - मेरे भारत , माता पिता , तू लड़की है के लिए पुरस्कार महा विद्यालय स्तर पर
अभिनय - हड़ताल के लिए पुरस्कार महा विद्यालय स्तर पर
निबंध लेखन - के लिए पुरस्कार महा विद्यालय स्तर
पसंदीदा कवि : निराला , अज्ञे , महादेवी, हरिबंश राय बच्चन , दिनकर , बिहारी जी , सूरदास
पसंदीदा लेखक : हरिशंकर परसाई , प्रेमचंद , मोहन राकेश, कविता , उपन्यास और कहानिया पढने का बहुत शौक है । अभी मई २००९ तक स्नातकोत्तर की छात्र हैं।दर्द-महोब्बत है अजीब, आंखो में आँसू सजाये बैठे है । देवता नही है, फिर भी हम सपनो का मंदिर सजाये बैठे है । । किस्मत की बात है, दुनिया से खुद को छुपायें बैठे है । कैसे बया करे, उन पर हम अपना सब कुछ लुटाये बैठे है । । बेरहम है ये दुनिया, फिर भी अदला जमाये बैठे है । वो दूर है तो क्या, उनका दिल दिल से लगाये बैठे है । । वो लौट कर न आयेगे, फिर भी नज़रे बिछाये बैठे है । उनसे मिलने की ललक में, सब कुछ भुलाये बैठे है । । आंखो से आँसू इतने गिरे , की समन्दर बनाये बैठे है । वो वेरहम है पता है मुझको , फिर भी तेरे सजदे में सर को झुकाये बैठे है । ।