जब नारी ने जन्म लिया था !
अभिशाप ने उसको घेरा था !!
अभी ना थी वो समझदार !
लोगो ने समझा मनुषहार !!
उसकी मा थी लाचार !
लेकीन सब थे कटु वाचाल !!
वह कली सी बढ्ने लगी !
सबको बोझ सी लगने लगी !!
वह सबको समझ रही भगवान !
लेकीन सब थे हैवान !!
वह बढना चाहती थी उन्नती के शिखर पर !
लेकीन सबने उसे गिराया जमी पर !!
सबने कीया उसका ब्याह !
वह हो गयी काली स्याह !!
ससुर ने मागा दहेग हजार !
न दे सके बेचकर घर-बार !!
सास ने कीया अत्याचार !
वह मर गयी बिना खाये मार !!
पती ने ना दीया उसे प्यार !
पर शिकायत बार-बार !!
किसी ने ना दिखायी समझदारी !
यही है औरत कि बेबसी लाचारी !!
ना मीली मन्जिल उसे बन गयी मुर्दा कन्काल !
सबने दिया अपमान उसे यही बन गया काल !!
यही है नारी कि बेबसी यही है नारी की मन्जिल !
यही हिअ दुनीय कि रीत यही है मनुष्य का दिल !!
मै दुआ करता हू खुदा से किसी को बेटी मत देना !
यदी बेटी देना तो इन्सान को हैवनीयत मत देना !!