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सोमवार, 9 अगस्त 2010

कितने पास कितने दूर ...---(लेख) मोनिका गुप्ता

जमाना नेट का है. चारो तरफ कम्प्यूटर ही दिखाई देते हैं .बहुत अच्छा लगता है यह जान कर कि निसंदेह हम प्रगति के पथ पर अग्रसर है. जहाँ तक नौजवानो की बात है उनमे सीखने की लग्न बडो से कही ज्यादा है और वो ना सिर्फ जल्दी से सीख भी लेते हैं बलिक अपने बडो को भी सीखा देते हैं. पर सारा दिन उससे चिपके बैठे रहना भी तो सही नही है ना खाने की चिंता ना पढाई की. एक ही घर मे रहते हुए भी ऐसा लगता है कि सुबह से कोई बात ही नही हुई. स्कूल, कालिज या दफ़्तर से आते ही बस लगे रहते हैं कम्प्यूटर में ...

कल ही मेरे एक मित्र खुशी खुशी बता रहे थे कि उन्होनें वेब केम लिया है और अब वो भारत मे बैठे बैठे ही अपने विदेश मे रहने वालो से रिश्तेदारो को देख भी सकते है. सही है फायदे तो बहुत ही है इस बात से तो इंकार नही है क्योकि एक समय ऐसा था कि समय की कमी की वजह से हमारा अपने रिश्तेदारो से मिलना तो दूर बात तक करने का भी समय नही होता था पर धन्यवाद इस टेकनीक का ... आज इसकी वजह से सारे दोस्त , रिश्तेदार किसी ना किसी साईट पर मिल जाते है वहाँ ना उनकी नई पुरानी तस्वीरे देख सकते हैं बलिक उन्हे जन्मदिन या सालगिरह पर बधाई भी दे सकते हैं, बात कर सकते है . यानि अब किसी को उलहाना भी नही रहा कि आप आते नही या मिलते नही ... वगैरहा ... कुल मिला कर हम पास ही तो हो रहे है दूर तो नही..... पर यकीनन हम अपनो से दूर हो रहे हैं अपने ही परिवार से कट रहे हैं ... यही देखने मे आता है कि हम नेट पर सारा दिन बातो मे निकाल देंग़े पर अगर घर मे कोई महेमान आ जाए तो उठना और उससे बात करना मुसीबत से कम नही लगता ....घर के बडे इंतजार करते रहेंग़े कि चलो खाना तो साथ ही खाएगे .... पर जनाब... खाना भी वही बैठ कर खाया जाता है जहाँ कम्प्यूटर रखा होता है ..अब कोई करे तो क्या करे ...

ये बहुत अच्छी बात है कि हम नई टेकनोलोजी के साथ कदम मिला कर चल रहे हैं लेकिन अपनो से दूर भी जाना भी सही नही है ..नई दुनिया से जुडना .. नई बाते सीखना उतना ही जरुरी है जितना अपने परिवार को वक्त देना.. तो आप नई दुनिया से तो जुडे ही रहिए बहुत कुछ है सीखने को... पर अपनो का भी ध्यान आपने ही रखना है .. है ना...