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सोमवार, 7 फ़रवरी 2011

आ जाओ माँ.....(सत्यम शिवम)

स्वर मेरा अब दबने लगा है,
कंठ से राग ना फूटे,
अंतरमन में ज्योत जला दो,
कही ये आश ना टूटे।
तु प्रकाशित ज्ञान का सूरज,
मै हूँ अज्ञानता का तिमीर,
ज्ञानप्रदाता,विद्यादेही तु,
मै बस इक तुच्छ बूँद सा नीर।

विणावादिनी,हँसवाहिनी!
तुझसे है मेरा नाता,
बिना साज,संगीत बिना भी,
हर दम मै ये गाता।

तेरा पुत्र अहम् में माता,
भूल गया है स्नेह तुम्हारा,
भूल गया है ज्ञान,विद्या,
धन लोभ से अब है हारा।

आ जाओ माँ आश ना टूटे,
दिल के तार ना रुठे,
कही तुम बिन माँ तड़प तड़प के,
प्राण का डोर ना छुटे।