धरी
धरी लुट गयी
सपनों की टोकरी,
मिली नहीं नौकरी।
क्या
हम कहें
कुछ कहा नहीं जाए,
जीवन से मौत अच्छी
सहा नहीं जाए।
झूठे
अरमान हुए सपनें बेइमान हुए,
अपने अनजान हुए
रहा नहीं जाए।
कर
गई बाय बाय
मुम्बई की छोकरी !
मिली नहीं नौकरी।
धरी धरी लुट गयी ...
कितने जतन किए
पूरी की पढ़ाई,
फिर भी जमाने में
बेकारी हाथ आई।
दर
दर की ठोकर खाते,
पानी पी भूख मिटाते,
पर हम लड़ते ही जाते
जीवन की लड़ाई।
होकर
मजबूर यारों
करते हैं जोकरी !
मिली नहीं नौकरी।
धरी
धरी लुट गयी ..
धरी लुट गयी
सपनों की टोकरी,
मिली नहीं नौकरी।
क्या
हम कहें
कुछ कहा नहीं जाए,
जीवन से मौत अच्छी
सहा नहीं जाए।
झूठे
अरमान हुए सपनें बेइमान हुए,
अपने अनजान हुए
रहा नहीं जाए।
कर
गई बाय बाय
मुम्बई की छोकरी !
मिली नहीं नौकरी।
धरी धरी लुट गयी ...
कितने जतन किए
पूरी की पढ़ाई,
फिर भी जमाने में
बेकारी हाथ आई।
दर
दर की ठोकर खाते,
पानी पी भूख मिटाते,
पर हम लड़ते ही जाते
जीवन की लड़ाई।
होकर
मजबूर यारों
करते हैं जोकरी !
मिली नहीं नौकरी।
धरी
धरी लुट गयी ..