"..........गीता पर हाथ रखकर कसम खा कि जो कहेगा,सच कहेगा,सच के सिवा कुछ नहीं कहेगा "
"हुजुर,माई बाप मैं गीता तो क्या आपके ,माँ-बाप की कसम खाकर कहता हूँ कि जो कहूँगा,सच कहूँगा,सच के सिवा कुछ भी नहीं कहूँगा...!!"
"तो बोल,देश में सब कुछ एकदम बढ़िया है...!!"
"हाँ हुजुर,देश में सब कुछ बढ़िया ही है !!"
"यहाँ की राजनीति विश्व की सबसे पवित्र राजनीति है !!"
"हाँ हुजुर,यहाँ की राजनीति तो क्या यहाँ के धर्म और सम्प्रदाय बिल्कुल पाक और पवित्र हैं,यहाँ तक की उनके जितना पवित्र तो उपरवाला भी नहीं....!!"
"हाँ....और बोल कि तुझे सुबह-दोपहर-शाम और इन दोनों वक्तों के बीच भर-पेट भोजन मिलता है !!"
"हाँ हुजुर,वैसे तो मेरे बाल-बच्चे और मैं और मेरी पत्नी हर शाम भूखे ही रहते हैं,लेकिन आप कहते हैं तो बताये देता हूँ कि हमें छहों वक्त भरपेट भोजन तो क्या मिलता है बल्कि ओवरफ्लो ही हो जाता है...मेरे जैसे लाखों इस देश के लोग भूखे होने की नौटंकी करते रहते हैं !!"
"जरुरत से ज्यादा मत बोल,जितना कहा जाए उतना ही बोल....!!"
"हुजुर थोड़े कहे को ज्यादा समझा....और ज्यादा बोल देता हूँ....आप ही की आसानी के लिए....हुजुर !!"
"ठीक है-ठीक है !!बोल इंडिया में चारों और शाईनिंग ही शाईनिंग है !!"
"हाँ हुजुर, शाईनिंग ही शाईनिंग तो क्या हमारा देश और उसके लाखों-लाख गाँव दिन-रात ऐसी रौशनी से जगमगा रहे हैं कि हर कोई इस जगमगाहट से अघा गया है.....!!"
"फिर जास्ती बोला तू.....!!"
"हुजुर,माई-बाप...!!गलती हो गई गई.....माफ़ कीजिये मालिके-आजम !!"
"हाँ,इसी तरह हम सबको इज्जत दे,सबकी इजात कर ....तभी सबसे इज्जत पायेगा....!!"
"हुजुर, इस देश में हम गरीबों को इतनी इज्जत-इतनी इज्जत मिल रही है कि उस इज्जत से हमारा हाजमा ख़राब हो रहा है,यहाँ तक कि हम सब कभी-कभी आप लोगों से बदतमीजी से पेश आ जाते हैं....!!"
"हाँ,अब तू समझदार होता जा रहा है....!!"
"हुजुर सब आपकी कृपा,आपकी इनायत है सरकार !!"
"हाँ,बस इसी तरह तू बोलता रह,हमारी चांदी होगी तो तेरी भी चांदी होगी है कि नहीं .....??"
"हाँ हुजुर,हमारी का तो पता नहीं.....आपकी जरुर होगी चांदी सरकार !!"
"अबे,जबान लड़ता है...??"
"हुजुर, फिर गलती हो गई....क्या करें जबान है ,लड़खड़ा ही जाती है,अब नहीं गलती होगी सरकार....!!"
"साला,बार-बार बोलता है गलती नहीं होगी-गलती नहीं होगी.....और बार-बार गलती भी करता है....अबे साला आदमी है कि भकड़मल्लू...!!"
"हुजुर आदमी नहीं हूँ...बस गरीब हूँ.....!!गरीब में और आदमी में क्या अन्तर होता है....सो तो सरकार ही जानती है...!!"
"हूँ....!!जरुरत से ज्यादा अक्ल आ गई है तुझे,साले तेरी खातिर ही हम सब सब मरते हैं...तेरे लिए ही तो क्या-क्या करते हैं....तब ही तो अपना कुछ कर पाते हैं....!!"
"दुरुस्त फ़रमाया सरकार....!!हमारे जीने पे-हमारे मरने पे ही आपकी जिन्दगी निर्भर है हुजुर-आला....!!"
"ठीक है-ठीक है.....इतनी सारी बातें तुने सच-सच कही....अब एक आखिरी बात भी सच बोल दे !!"
"सरकार,आप फरमाएं....हमें तो सिर्फ़ उसकी कापी करनी है....कहिये हुजुर...!!"
"तो बोल भारत माता की जय.....भारत माता की जय...!!"
"हुजुर,ये तो मैं नहीं बोलूँगा...!!"
"अबे क्यूँ-क्यूँ.....!!??"
"हुजुर हम तो मजूर लोग हैं.....आपका कहा हुआ...आपका बताया हुआ सच बोलते हैं.....इससे आप भी खुश हो जाते है,और हमारी आन का भी कुछ नहीं बिगड़ता....मगर इससे ज्यादा सच बोले को ना कहिये सरकार !!"
"अबे बोलता है कि नहीं ??"
"नहीं हुजुर....!!"
"अबे बोल....!!"
"नहीं हुजुर...!!"
"बोल.....!!"
"नहीं हुजुर.....!!
"तो ले,ये ले लात खा ...!!"
अबकी मजदूर उठता है.....अपनी लाठी उठाता है.....और अफसर को दे लाठी-दे लाठी....धुनना शुरू कर देता है ......लाठी के बेरहम प्रहार से अफसर अधमरा हो जाता है......अपनी लाठी उठाये मजदूर यह गाते हुए चल देता है
"बन्दे-मातरम्-बन्दे मातरम्.......!!"
दृश्य का पटाक्षेप होता है......और लेखक इस दृश्य के साकार होने की कल्पना में डूब जाता है.....!!
"हुजुर,माई बाप मैं गीता तो क्या आपके ,माँ-बाप की कसम खाकर कहता हूँ कि जो कहूँगा,सच कहूँगा,सच के सिवा कुछ भी नहीं कहूँगा...!!"
"तो बोल,देश में सब कुछ एकदम बढ़िया है...!!"
"हाँ हुजुर,देश में सब कुछ बढ़िया ही है !!"
"यहाँ की राजनीति विश्व की सबसे पवित्र राजनीति है !!"
"हाँ हुजुर,यहाँ की राजनीति तो क्या यहाँ के धर्म और सम्प्रदाय बिल्कुल पाक और पवित्र हैं,यहाँ तक की उनके जितना पवित्र तो उपरवाला भी नहीं....!!"
"हाँ....और बोल कि तुझे सुबह-दोपहर-शाम और इन दोनों वक्तों के बीच भर-पेट भोजन मिलता है !!"
"हाँ हुजुर,वैसे तो मेरे बाल-बच्चे और मैं और मेरी पत्नी हर शाम भूखे ही रहते हैं,लेकिन आप कहते हैं तो बताये देता हूँ कि हमें छहों वक्त भरपेट भोजन तो क्या मिलता है बल्कि ओवरफ्लो ही हो जाता है...मेरे जैसे लाखों इस देश के लोग भूखे होने की नौटंकी करते रहते हैं !!"
"जरुरत से ज्यादा मत बोल,जितना कहा जाए उतना ही बोल....!!"
"हुजुर थोड़े कहे को ज्यादा समझा....और ज्यादा बोल देता हूँ....आप ही की आसानी के लिए....हुजुर !!"
"ठीक है-ठीक है !!बोल इंडिया में चारों और शाईनिंग ही शाईनिंग है !!"
"हाँ हुजुर, शाईनिंग ही शाईनिंग तो क्या हमारा देश और उसके लाखों-लाख गाँव दिन-रात ऐसी रौशनी से जगमगा रहे हैं कि हर कोई इस जगमगाहट से अघा गया है.....!!"
"फिर जास्ती बोला तू.....!!"
"हुजुर,माई-बाप...!!गलती हो गई गई.....माफ़ कीजिये मालिके-आजम !!"
"हाँ,इसी तरह हम सबको इज्जत दे,सबकी इजात कर ....तभी सबसे इज्जत पायेगा....!!"
"हुजुर, इस देश में हम गरीबों को इतनी इज्जत-इतनी इज्जत मिल रही है कि उस इज्जत से हमारा हाजमा ख़राब हो रहा है,यहाँ तक कि हम सब कभी-कभी आप लोगों से बदतमीजी से पेश आ जाते हैं....!!"
"हाँ,अब तू समझदार होता जा रहा है....!!"
"हुजुर सब आपकी कृपा,आपकी इनायत है सरकार !!"
"हाँ,बस इसी तरह तू बोलता रह,हमारी चांदी होगी तो तेरी भी चांदी होगी है कि नहीं .....??"
"हाँ हुजुर,हमारी का तो पता नहीं.....आपकी जरुर होगी चांदी सरकार !!"
"अबे,जबान लड़ता है...??"
"हुजुर, फिर गलती हो गई....क्या करें जबान है ,लड़खड़ा ही जाती है,अब नहीं गलती होगी सरकार....!!"
"साला,बार-बार बोलता है गलती नहीं होगी-गलती नहीं होगी.....और बार-बार गलती भी करता है....अबे साला आदमी है कि भकड़मल्लू...!!"
"हुजुर आदमी नहीं हूँ...बस गरीब हूँ.....!!गरीब में और आदमी में क्या अन्तर होता है....सो तो सरकार ही जानती है...!!"
"हूँ....!!जरुरत से ज्यादा अक्ल आ गई है तुझे,साले तेरी खातिर ही हम सब सब मरते हैं...तेरे लिए ही तो क्या-क्या करते हैं....तब ही तो अपना कुछ कर पाते हैं....!!"
"दुरुस्त फ़रमाया सरकार....!!हमारे जीने पे-हमारे मरने पे ही आपकी जिन्दगी निर्भर है हुजुर-आला....!!"
"ठीक है-ठीक है.....इतनी सारी बातें तुने सच-सच कही....अब एक आखिरी बात भी सच बोल दे !!"
"सरकार,आप फरमाएं....हमें तो सिर्फ़ उसकी कापी करनी है....कहिये हुजुर...!!"
"तो बोल भारत माता की जय.....भारत माता की जय...!!"
"हुजुर,ये तो मैं नहीं बोलूँगा...!!"
"अबे क्यूँ-क्यूँ.....!!??"
"हुजुर हम तो मजूर लोग हैं.....आपका कहा हुआ...आपका बताया हुआ सच बोलते हैं.....इससे आप भी खुश हो जाते है,और हमारी आन का भी कुछ नहीं बिगड़ता....मगर इससे ज्यादा सच बोले को ना कहिये सरकार !!"
"अबे बोलता है कि नहीं ??"
"नहीं हुजुर....!!"
"अबे बोल....!!"
"नहीं हुजुर...!!"
"बोल.....!!"
"नहीं हुजुर.....!!
"तो ले,ये ले लात खा ...!!"
अबकी मजदूर उठता है.....अपनी लाठी उठाता है.....और अफसर को दे लाठी-दे लाठी....धुनना शुरू कर देता है ......लाठी के बेरहम प्रहार से अफसर अधमरा हो जाता है......अपनी लाठी उठाये मजदूर यह गाते हुए चल देता है
"बन्दे-मातरम्-बन्दे मातरम्.......!!"
दृश्य का पटाक्षेप होता है......और लेखक इस दृश्य के साकार होने की कल्पना में डूब जाता है.....!!