जाने क्या है जाने क्या नही
बहुत है मगर फिर भी कुछ नही
तुम हो मै हू और ये धरा
फिर भी जी है भरा भरा
कभी जो सोचू तो ये पाऊ
मन है बावरा कैसे समझाऊ
कि न मैं हू न हो तुम
बस कुछ है तन्हा सा गुम.......................!!
बहुत है मगर फिर भी कुछ नही
तुम हो मै हू और ये धरा
फिर भी जी है भरा भरा
कभी जो सोचू तो ये पाऊ
मन है बावरा कैसे समझाऊ
कि न मैं हू न हो तुम
बस कुछ है तन्हा सा गुम.......................!!