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शुक्रवार, 6 नवंबर 2009

कोई दोस्त ऐसा बनाया जाये, जिसके आसुओं को पलकों में छुपाया जाए, रहे उसका मेरा रिश्ता कुछ ऐसा, कि, अगर वो रहे उदास तो हमसे भी न मुस्कुराया जाये।। आपने अपनी आँखों में नूर छुपा रखा है, होश वालो को दीवाना बना रखा है, नाज़ कैसे न करू आपकी दोस्ती पर, मुज जैसे नाचीज को खास बना रखा है... फूल सुख जाते है एक वक्त के बाद, लोग बदल जाते है एक वक़्त के बाद, अपनी दोस्ती भी टूटेगी एक वक़्त के बाद, लेकिन वोह वक़्त आयेगा मेरी मौत के बाद...

वो नज़रों से मेरी नज़र काटता है ---------(जतिन्दर परवाज़)

वो नज़रों से मेरी नज़र काटता है


मुहब्बत का पहला असर काटता है


मुझे घर में भी चैन पड़ता नही था


सफ़र में हूँ अब तो सफर काटता है


ये माँ की दुआएं हिफाज़त करेंगी


ये ताबीज़ सब की नज़र काटता है


तुम्हारी जफ़ा पर मैं ग़ज़लें कहूँगा


सुना है हुनर को हुनर काटता है


ये फिरका-परसती ये नफरत की आंधी


पड़ोसी, पड़ोसी का सर काटता है