"भारत की महान संस्कृति पर क्या "हमला नही हो रहा है ?" क्या आपको नही लगता की हमारे घरो मे नित्यदिन चलने वाले मानोरंजक सीरियल जिन्हे हम अपने परिवार के साथ देखते है, हमारी संस्कृति की ख़राब पेशकश इन सीरियलो द्वारा हो रही है ?आपके बच्चो पर इनका क्या असर होगा ?। देखने मे ये सीरियल पारिवारिक लगते है और बङे चाव से हम अपने परिवार के साथ बैठ कर देखते है। और अचानक कोई ऐसा दृश्य जो की आपत्तीजनक अवस्था मे होता है, तब हम उस चैनल को हटा देते है क्यो?
हमे लगता है की सायद हम ऐसा करेगें तो बच्चे उस अश्लिल दृश्य को न देख पाये। पर जब हम ऐसा करते होगे तब बच्चो के मन कुछ सवाल तो उठते ही होगें।आज कल टिवी पर आने वाले सीरियल अपने टी.आर.पि रेटिंग को बढाने के लिये जो हथकन्डे अपना रही है, उससे न सिर्फ हमारे संस्कृति पे आघात बल्की हमारे संस्कृति पे एक बदनूमा दाग छोङ रही है, जो भारत जैसे देश जहां की पहचान ही उसकी संस्कृति से होती है के लिये एक चिन्ता का विषय है। आज कल टिवी पे आने वाले सीरियल मनोरंजन के नाम मारपिट और गाली गलौच परोस रहे है, जिससे हमारे बच्चो की मानसिकता मे बहुत ही ज्यादा परिवर्तन हो गया है। सीरियलो मे आज कल ये दिखाया जाता है कि, कैसे आप अपने भाई के संपत्ती को हङपेगे, कैसे बहू अपने सास से बदला लेगी, कैसे आशीक अपने प्रमिका को पटाता है, और कैसे बेटा अपने माँ बाप को घर से बाहर कर देता है। इस प्रकार के सीरियलो को देखने के बाद हमारी मानसिकता कैसी होगी ये तो आप समझ ही सकते है। जहां तक हम और आप जानते है, ये तो हमारी संस्कृति हो ही नही सकती। हमे तो ये पता है कि हमारे यहां भाई लक्षमण जैसा और बेटा भगवान राम जैसे होता है। जहां तक हम जानते है हमारे यहा की औरते बलिदानी ममता से परिपुर्ण और अपने पति के साथ हर हालात मे रहने की कसम खाती है, लेकीन जो हमारे सीरियलो मे दिखया जा रहा है की अगर पति ने अपने पत्नी को थप्पङ मारा है तो ये बात तलाक तक पहुचती है,मै ये नही कह रहा हूं कि पति को अपनी पत्नी को थप्पङ मारना चाहिये, यहा मेरे कहने का मतलब बलिदान और शहनसीलता से है। । इस तरह के सीरियल से हमारे संस्कृति पे जो घाव किया जा रहा है वह दंडनीय है।
और सबसे बङी चिन्ता की बात ये है कि इस प्रकार के सीरियलो को ज्यादा पसंन्द किया जा रहा है अगर हमे अपनी संस्कृति जिसके लिए हम जाने जाते है, को बचाना है तो हमे इस प्रकार के सीरियलो को नकारना होगा ताकी ये और अपने पैर ना पसार सके।।