इंसान में इंसानियत सबसे ज़रूरी चीज़ है
इंसान वो जिसमें कहीं ,इंसानियत का बीज
मान प्रतिष्ठा पाकर अँधा होता जाता है इंसान
उसे पता क्या अनजाने ही बना जा रहा वो हैवान
मीठी बोली भूल गया हँसी ठिठोली भूल गया
मित्र कौन कैसे नाते सब हमजोली भूल गया
स्वार्थ साधना और खुशामद उसकी यही तमीज है
इंसान में .............................. ...........................
जिस सीढ़ी ने उसे चढाया उस सीढ़ी को छोड़ दिया
जिन लोगों ने साथ निभाया उनसे मुंह को मोड़ लिया
पहन मुखौटा कोयल का कौए का सुर साध लिया
लोमड से चालाकी ली तोते का अंदाज़ लिया
ख़ुद को राजा मान लिया बाकी सभी कनीज़ है
इंसान में........................... .............................. .....
सब कर्मों का लेखा जोखा रखता है ऊपर वाला
अपने मद में घूम रहा है होकर के क्यूँ मतवाला
कितनों का अपमान किया है कितनों को मारा तूने
क्या पाया है क्या खोया है सपनों में गोया तूने
उसके घर में देर भले , अंधेर न मेरे अज़ीज़ है
इंसान में........................... .............................. ....
आसमान में देख चल रहा एक दिन ठोकर खायेगा
कितना भी ऊँचा उड़ जाए जमीं पर पंछी आएगा
साथ कोई न देगा उसका एक दिन ऐसा भी होगा
आया था दुनिया में अकेला और अकेला जायेगा
जितनी जल्दी होय संभल जा मेरी सलाह विद प्लीज़ है
इंसान में........................... .............................. ॥
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yogesh verma "swapn"
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yogesh verma "swapn"