जब से मै और तुम हम न रहे
तब से दोस्ती मे वो दम ना रह
जीते रहे ज़िन्दगी को जाना नहीं
टेढे थे रस्ते, जमे कदम ना रहे
तकरार से फासले नहीं मिटते
जब भी शिकवे हुये हम हम ना रहे
रातें सहम गयी दिन बहक गये हैं
पलकें सूनी हैं आँसू भी नम ना रहे
फिरते हैं सजा के होठों पे हंसी
तन्हाई मे अश्क भी कम ना रहे
इक जिस्म दो जान हुआ करते थे
वो दोस्त अब हमदम ना रहे