”शान्ति”- स्वामी विवेकानंद
स्वामी विवेकानन्द द्वारा लिखित अंग्रेजी की मूल कविता
न्यूयार्क में अंग्रेजी में लिखित , १८९९ ई .|
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देखो जो बलात् आती है , वह शक्ति , शक्ति नहीं है !
वह प्रकाश , प्रकाश नहीं है , जो अँधेरे के भीतर है |
और न वह छाया , छाया ही है ,
जो चकाचौंध करने वाले प्रकाश के साथ है |
आनंद वह है , जो कभी व्यक्त हुआ ही नहीं ,
और अनभोगा , गहन दुःख है अमर जीवन ,
जो जिया नहीं गया और अनंत मृत्यु ,
जिस पर किसी को शोक नहीं हुआ |
न दुःख है , न सुख ,
सत्य वह है , जो इन्हें मिलाता है |
न रात है न प्रात् ,
सत्य वह है , जो इन्हें जोड़ता है |
वह संगीत में मधुर विराम ,
पावन छंद के मध्य यति है ,
मुखरता के मध्य मौन ,
वासनाओं के विस्फोट के बीच ह्रदय की शांति है |
सुन्दरता वह है , जो देखी न जा सके |
प्रेम वह है , जो अकेला रहे |
गीत वह है , जो जिये , बिना गाये ,
ज्ञान वह है , जो कभी जाना न जाए |
जो दो प्राणों के बीच मृत्यु है ,
और दो तूफानों के बीच एक स्तब्धता है ,
वह शून्य ,
जहाँ से सृष्टि आती है और जहाँ वह लौट जाती है |
वहीँ अश्रु बिंदु का अवसान होता है ,
प्रसन्न रूप को प्रस्फुटित करने को वही जीवन का चरम लक्ष्य है ,
और शांति ही एकमात्र शरण है |
न्यूयार्क में अंग्रेजी में लिखित , १८९९ ई .|
हिंदी अनुवाद –”-विवेकानंद साहित्य संचयन”’ …तीसरा संस्करण —२४-३-१९९१ , अध्यक्ष —-स्वामी व्योम रूपानंद , रामकृष्ण मठ , नागपुर.