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मंगलवार, 6 जुलाई 2010

वो कल सुबह जाएगी.........................नीशू तिवारी

बहुत दिन नहीं हुआ जॉब करते हुए .....पर अच्छा लगता है खुद को व्यस्त रखना........शाम की कालिमा अब सूरज की लालिमा को कम कर रही थी ......मैं चुप चाप तकिये में मुह धसाए बहार उड़ रही धुल में अपनी मन चाही आकृति बना कर ( कल्पनाओं में ) खुश हो रहा था .........कभी प्रिया का हंसता चेहरा नजर आता .........तो दुसरे पल बदलते हवा के झोंकों के साथ आँखें नयी तस्वीर उतार लेती .......... बिलकुल वैसी ही .....जैसे वो मिलने पर( शर्माती थी ) करती थी.............अचानक आज इन यादों ने मेरी साँसों की रफ्तार को तेज़ कर दिया .........करवट बदलते हुए आखिरी मुलाकात के करीब न जाने क्यूँ चला गया ...........
मैं पागल हूँ और आलसी भी वो हमेशा कहा करती थी ....जिसे मै हंस कर मान लेता था .....(सच कहूँ तो आलसी हूँ भी )........ .....दिल्ली में दो साल कैसे बीते ....पता ही न चला ..... हम साथ ही पत्रकारिता में दाखिल हुए थे ........और साथ ही पढाई पूरी की ..........पहली बार हम दोनों कालेज के साछात्कार से पहले मिले थे .......वह बहुत घबराई सी लग रही थी .......मैंने ही बात के सिलसिले को आगे बढाया था .........बातो से पता चला की वह भी अल्लाहाबाद से पढ़ कर आई है ...तब से ही अपनापन नजर आया था उसको देखकर ........साछात्कार का परिणाम आने अपर हम दोनों का चयन हुआ था .........ये मेरे लिए सब से बड़ी ख़ुशी की बात थी ...क्यूंकि मैंने जो तैयारी की थी उससे मैंने खुस न था ...........पर मेरा भी चयन हो ही गया था .........कुछ दिनों के बाद क्लास शुरू हो गयी ......नए नए दोस्त बने .....समय अच्छे से गुजरता ........पर जब तक प्रिय से कुछ देर न बात करता .......तो कुछ भी अच्छा न लगता .....सुबह से शाम तक मैं प्रिया के पास और प्रिया मेरे पास ही होती ......यानि आसपास ही क्लास में बैठते ....दोपहर का नाश्ता और शाम की चाय साथ पीने के बाद हम दोनों अपने अपने रूम के लिए निकलते ......रूम पर पहुच कर फिर फ़ोन से बहुत साडी बातें होती ............इसी बातों से न जाने कब प्यार हो गया पता ही न चला ..........वैसे प्रिया तो शायद ही कभी बोलती .........पर हाँ मैंने ही उसको प्रपोज किया था .......कोई उत्तर नहीं दिया था उसने ..........मैं तो डर गया था की शायद अब वह बात न करे......लेकिन नहीं उसका स्वभाव वैसे ही सीधा साधा रहा ..जैसा की वह रहती थी ..... मेरे लिए ख़ुशी की बात थी .......मैंने खुद से ही हाँ मान लिया था .....क्यूंकि वह चुप जो थी .......कभी लड़ते लाभी झगड़ते .......रूठते मानते .....अब उस दौर में हम दोनों आ गए थे की अब आगे की जिंदगी को चुनना था ........संघर्ष और सफलता के बीच प्यार को लेकर चलना था ..........प्रिया ने आखरी सेमेस्टर का एग्जाम देने के बाद यूँ ही कहा था ..........मिस्टर आलसी .......अब आपको सारा काम खुद से करना होगा ......हो सकता है रोज फ़ोन पर बात भी न हो पाए ......और हाँ मैं घर जा रही हूँ ......शायद पापा अब न आने दें .........वहीँ कोई जॉब देखूंगी ........ मैं चुपचाप उसकी बातें सुन रहा था .......वो मेरी तरफ नहीं देख रही थी पर बात मुझसे ही कह रही थी .......आज पहली बार दो साल में उसकी आँखों में आन्शूं देखा था ............फिर जल्दी से आंसू पोछते हुए कहा था ....मिस्टर उल्लू .....नहाते भी रहना ...वरना मुझे आना होगा .........मैंने सर हिलाकर सहमती दे दी थी ..........वो कल सुबह जाएगी ........अब कैसे रहूँगा ........कुछ समझ न आया था ......रात भर नींद न आयी ..और प्रिया को भी परेसान न करना चाहता था .........क्यूंकि अगले दिन उसकी ट्रेन थी .........सुबह मिलने की बात हुई थी .......मैं अपना वादा निभाते हुए रेलवे स्तेसन तक छोड़ने गया था ...........ट्रेन जाने तक उसको देखता ही रहा था ............हाँ कुछ महीने बाद उसका फ़ोन आया था ..........ठीक है वह ..........

रिश्ता खून का .........लेख...........मोनिका गुप्ता

.रक्तदान महादान....रक्तदान पूजा समान ...वगैरहा .. आमतौर पर इस तरह के नारे और स्लोगन सुनने को मिल ही जाते हैं पर आखिर रक्तदान इतना जरुरी है या ऐसे ही ...

इस बात मे कोई दो राय नही है कि रक्त का कोई दूसरा विकल्प नही है यानि यह किसी फैक्टरी मे नही बनता और ना ही इंसान को जानवर का खून दिया जा सकता है ..यानि रक्त बहुत ही ज्यादा कीमती है. रक्त की मांग दिनो दिन बढ्ती ही जा रही है पर जागरुकता ना होने की वजह से लोग देने से हिचकिचाते हैं ..मसलन यह सोच कि कितने लोग तो रक्त दान करते ही हैं तो मुझे क्या जरुरत है ..या भई, मेरा ब्लड तो बहुत आम है ये तो किसी का भी होगा तो मैं ही क्यो दान करुँ. अब उनकी यह सोच सही इसलिए नही है कि आम ब्लड होने के कारण उस समूह के रोगी भी तो ज्यादा आते होगें ..यानि उस ग्रुप की मागँ भी तो उतनी ही होगी ... या फिर कई लोग यह सोचते है कि भई, मेरा ग्रुप तो रेयर है यानि खास है तो मैं तो तब ही दूगाँ जब जरुरत होगी ..ऐसे मे तो यही बात सामने आती है कि आपका रक्त् चाहे आम हो या खास .. हर तीन महीने यानि 90 दिन बाद देना ही चाहिए. हमारा शरीर 24 घंटे के भीतर रक्त ही पूर्ति कर लेता है जबकि सभी तरह की कोशिकाओ के परिपक्व होने मे 5 सप्ताह तक लग जाते हैं ..

अब बात आती है कि जब जरुरत होगी तभी देंग़ें जोकि सही नही है .. मरीज कब तक आपकी इंतजार करेगा. हो सकता है कि आप तक खबर ही ना पहुँच पाए या आप ही समय पर ना पहुँच पाए तो आप दोषी किसे मानोगें ...दूसरी बात यह भी है कि बेशक आप लगातार रक्त देते हो पर जब भी आपने रक्त दान करना होता है आपका सारा चैकअप दुबारा होता है उसमे कई बार समय भी लग जाता है ... तो इस इंतजार मे तो ना ही रहे कि जब जरुरत होगी तभी ही देने जाएगें ...

वैसे स्वैच्छिक रक्त दान को सुरक्षित माना जाता है क्योकि इन मे रक्त संचरण जनित सक्रंमण ना के बराबर होता है.

यह भी बात आती है कि रक्तदान किसलिए करें तो स्वस्थ् लोगो का नैतिक फर्ज है कि बिना किसी स्वार्थ के मानव की भलाई करें. अगर हमारे रक्त से किसी की जान बच सकती है तो हमे गर्व होना चाहिए कि हमने नेक काम किया है.

तो अगर आप 18 से 60 साल के बीच मे हैं.... आपका होमोग्लोबिन 12.5 है और आपका वजन 45 किलो से ज्यादा है .. तो आप निकट के ब्लड बैंक मे जाकर और जानकारी लेकर रक्तदान कर सकते हैं.

 क्या आपको पता है कि देश मे हर साल लगभग 80 लाख यूनिट रक्त की जरुरत होती है जबकि 50 यूनिट ही मिल पाता है. ये बहुत कम है.बेचारा मरीज रक्त की इंतजार करता है जबकि होना यह चाहिए कि रक्त मरीज ही इंतजार करे ना कि मरीज रक्त की ...जैसाकि हरियाणा के जिला सिरसा मे है. यहाँ 100% स्वैच्छिक रक्त दाता हैं और रक्त मरीज की इंतजार करता है ना कि मरीज रक्त की. इसी उपल्ब्घि को वेब साईट www.bravoblooddonor.org पर भी डाला है.
सच, जिस काम मे किसी का भला होता हो किसी की जान बचती हो उस काम से कदम पीछे नही हटाना चाहिए.
 जाते जाते एक बात तो करना भूल ही गई कि रक्तदान के बारे मे एक बात बहुत सुनने को मिलती है कि अरे .. हमें तो रक्तदान के लिए किसी ने कहा ही नही ... इसलिए हमने किया भी नही .. ऐसे लोगो के लिए क्या जवाब हो सकता है आप बेहतर जान सकते हैं. मैं तो इतना ही कहूँग़ी ..... “जब जागो तभी सवेरा” ....

........................जय रक्तदाता ......................