खुशी से दूर सभी फिर ये ठिकाना क्यूँ है?
अमन जो लूटते उसका ही जमाना क्यूँ है?
सभी को रास्ता जो सच का दिखाते रहते
रू-ब-रू हो ना आईना से बहाना क्यूँ है?
धुल गए मैल सभी दिल के अश्क बहते ही
हजारों लोगों को नित गंगा नहाना क्यूँ है?
इस कदर खोये हैं अपने में कौन सुनता है?
कहीं पे चीख तो कहीं पे तराना क्यूँ है?
बुराई कितनी सुमन में कभी न गौर किया
ऊँगलियाँ उठतीं हैं दूजे पे निशाना क्यूँ है?
अमन जो लूटते उसका ही जमाना क्यूँ है?
सभी को रास्ता जो सच का दिखाते रहते
रू-ब-रू हो ना आईना से बहाना क्यूँ है?
धुल गए मैल सभी दिल के अश्क बहते ही
हजारों लोगों को नित गंगा नहाना क्यूँ है?
इस कदर खोये हैं अपने में कौन सुनता है?
कहीं पे चीख तो कहीं पे तराना क्यूँ है?
बुराई कितनी सुमन में कभी न गौर किया
ऊँगलियाँ उठतीं हैं दूजे पे निशाना क्यूँ है?