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गुरुवार, 27 अगस्त 2009

"प्लेटफार्म पर भटकता बचपन"

उसके पापा की साइकिल मरम्मत की दुकान थी, आमदनी ज्यादा नही थी, सो पापा ने उसे बनारसी साङियो की एक फैक्टरी मे काम करने भेजा ,तब वह महज ८-९ साल के था।छोटा होने की वजह से हाथो की पकङ मजबूत नही थी, नतीजन साङी मे दाग छुट गया , इस बात पर गुस्साये ठेकेदार ने उस की पिटाई की। वह पापा के पास जा पहुचा ,पर पापा ने उस की बात नही सूनि और उन्होने भी उस की पिटाई की, फिर उसे जबरजस्ती उसी ठेकेदार के पास पहुचा दिया गया ,ठेकेदार ने उसे दोबारा पिटा , पर अब वह घर नही गया वह सिधा जा पहुचा नई दिल्ली रेलवे स्टेशन ।यहा से शुरु होती है उसके आगे की कहानी जब वह स्टेशनपहुचा तब वह वहा सो गया ,जब आखँ खुली तब भुख लगी थीऔर सवेरा हो चूका था ,पेट मे चुहे दैङ रहे थे खाने के लिये पास मे कुछ भी नही था और न ही कुछ खरीद पाने के लिये पैसे, वह असहाय भुख सेतङप रहा था, अचानक उसकी नजर कुछ ऐसे बच्चो पे पङी जो कुङे के डब्बे से कुछ निकालने की कोशीश मे लगे थे ,वह वहा गया तो उसने देखा की वे बच्चे कुङे से कुछ खाने की वस्तुवे निकाल रहे थे , तब वह वँहा गया और वह भी उन बच्चो के गिरोह मे सामील हो गया और उसने भी उन जुठे खाने से अपने पेट की आग को बुझाई । वह उन बच्चो के गिरोह मे शामील हुआ जो पल्टेफार्म पर भीख मांगने से लेकर पानी के डब्बो को बेचना, नशे की वस्तुवो को बेचना ,प्लेटफार्म पे पोछा लगाने आदि कई ऐसे काम करते हैं जो की प्रशासन की नजर मे गैर कानुनी हैं। ये कहानी किसी एक विषेश कि नही है हम और आप प्रतिदीन इन बच्चो को देखते है फिर कुछ सोचते और फिर भुल जाते है। आपको जान कर हैरानी होगी की इनमे से ज्यातर बच्चे ऐसे है जो नशे की गिरफ्त मे बुरी तरह से जकङे जा चुके है। नशे के व्यापारी अपने थोङे से फायदे के लिये उन बच्चो के भविश्य के साथ खेल रहे है जिन्हे भारत का भविश्य कहा जा रहा है।कानून है कि १८ साल से कम उम्र का बच्चा न तो नशे का सेवन कर सकता है और न ही उसे बेच सकता है , लेकीन हमारा प्रशासन है की जिसे इसकी खबर ही नही है । बाल अधिकारो से जुङी तमाम गैरसरकारी संस्था को चाहिये की नशे की ओर इनके बढते हुये कदम को रोका जाये और इनके कदम को भारत के उज्वल भविश्य कि ओर अग्रसर किया जाये।

हिन्दी साहित्य मंच " द्वितीय कविता प्रतियोगिता " सूचना

हिन्दी साहित्य मंच "द्वितीय कविता प्रतियोगिता " सितंबर " माह से शुरू हो रही है । इस कविता प्रतियोगिता के लिए किसी विषय का निर्धारण नहीं किया गया है अतः साहित्यप्रेमी स्वइच्छा से किसी भी विषय पर अपनी रचना भेज सकते हैं । रचना आपकी स्वरचित होना अनिवार्य है । आपकी रचना हमें अगस्त माह के अन्तिम दिन तक मिल जानी चाहिए । इसके बाद आयी हुई रचना स्वीकार नहीं की जायेगी ।आप अपनी रचना हमें " यूनिकोड या क्रूर्तिदेव " फांट में ही भेंजें । आप सभी से यह अनुरोध है कि मात्र एक ही रचना हमें कविता प्रतियोगिता हेतु भेजें । प्रथम द्वितीय एवं तृतीय स्थान पर आने वाली रचना को पुरस्कृत किया जायेगा । दो रचना को सांत्वना पुरस्कार दिया जायेगा । सर्वश्रेष्ठ कविता का चयन हमारे निर्णायक मण्डल द्वारा किया जायेगा । जो सभी को मान्य होगा । आइये इस प्रयास को सफल बनायें । हमारे इस पते पर अपनी रचना भेजें -hindisahityamanch@gmail.com .आप हमारे इस नं पर संपर्क कर सकते हैं- 09891584813,09818837469, 09368499921। हिन्दी साहित्य मंच एक प्रयास कर रहा है राष्ट्रभाषा " हिन्दी " के लिए । आप सब इस प्रयास में अपनी भागीगारी कर इस प्रयास को सफल बनायें । आइये हमारे साथ हिन्दी साहित्य मंच पर । हिन्दी का एक विरवा लगाये जिससे आने वाले समय में एक हिन्दीभाषी राष्ट्र की कल्पना को साकार रूप दे सकें । संचालक ( हिन्दी साहित्य मंच ) नई दिल्ली