न हमसफ़र कोई, न हमराज़ मिला ,
मंजिल नहीं ...रास्ता भी है खोया खोया,
रात को तारे, चाँद से बातें भी करते होंगे तो क्या....
किस्मत है ...मैं खुश हूँ ...
हरवक्त ख़ुशी की कीमत चुकाई हैं मैंने ...
खुदा से कभी हिसाब न लिया....
क्या घाटा क्या नफा हुआ...
किस्मत है ...मैं खुश हूँ ...
हर मौज साहिल को छूकर चली गयी,
पर सब्र की कोई हद तो होगी,
मेरा नाम रेत से क्या हुआ,
किस्मत है ...मैं खुश हूँ ...
इन तारों को दुआ दे मेरे मालिक,
चाहे बुझ बुझ का जले सारी रात चले,
मेरा चाँद किस बादल में छुपा,
किस्मत है ...मैं खुश हूँ ...
तक़दीर को मुनासिब जगह न मिली,
कभी रास्तों पर कभी महफील में तन्हा रहा,
कुछ मेरी खता कुछ खुदा की ,
किस्मत है ...मैं खुश हूँ ...
कर ले हर कोशिश मुझे गमगीन करने की,
मेरा जूनून भी कुछ कम नहीं काफिर,
हर रात में बादल न होगा , हर मौज को साहिल न मिलेगा,
पर ....किस्मत है ...मैं खुश हूँ ...