मधु अधरों का मोहक रसपान,
नीर नैन बेजान,निष्प्राण,
ह्रदय प्राण का उद्वेलीत शव,
मन आँगन में स्नेह प्रेम का कलरव।
इस जहान में रहकर भी,
घुम आता है उस जहाँ के पार,
क्या यही है प्यार?
मुक राहों में स्वयं से अंजान,
बेजान काया को भी अभिमान।
अनछुए,अनोखे बातों से दबा लव,
अरमानों को लगे पँख नव।
सौ कष्टों से पूरित,
उर की व्यथा का इकलौता उद्धार,
क्या यही है प्यार?
निशदिन बस प्यार का गुणगान,
साथी की बातों का बखान।
नई दुनिया से इक नया लगाव,
नैन और अधरों से छलकता भाव।
ह्रदय में ही मिल जाता,
प्रेमियों को इक नया संसार,
क्या यही है प्यार?
नीर नैन बेजान,निष्प्राण,
ह्रदय प्राण का उद्वेलीत शव,
मन आँगन में स्नेह प्रेम का कलरव।
इस जहान में रहकर भी,
घुम आता है उस जहाँ के पार,
क्या यही है प्यार?
मुक राहों में स्वयं से अंजान,
बेजान काया को भी अभिमान।
अनछुए,अनोखे बातों से दबा लव,
अरमानों को लगे पँख नव।
सौ कष्टों से पूरित,
उर की व्यथा का इकलौता उद्धार,
क्या यही है प्यार?
निशदिन बस प्यार का गुणगान,
साथी की बातों का बखान।
नई दुनिया से इक नया लगाव,
नैन और अधरों से छलकता भाव।
ह्रदय में ही मिल जाता,
प्रेमियों को इक नया संसार,
क्या यही है प्यार?